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खुशी की उड़ान ने रक्तदान शिविर आयोजित कर जिंदगियों को किया संरक्षित

पी डी डी यू.।एक बून्द रक्त रक्त,एक बूंद रक्त अरे खून!यह शब्द सुनने में जितना छोटा उतना ही भारी है।कोई चिल्ला दें तीन बार खून खून खून तो हत्या हो गया ,डॉक्टर एक बार माँगले तो मरीज के परिजन डर जाते है।प्रेमी सिंदूर के जगह अपना हाथ काटकर प्रेमिका की मांग भर दें तो प्यार की पराकाष्ठा मान ली जाती है,और यही उमड़ता हुआ रक्त जब ईश्वर को समर्पित करते है तो ईश्वर पर अपना अधिकार समझ लेते है इतनी महत्वा के बाद भी लोग रक्तदान से दूर भागते है जिसके कारण हर वर्ष कइयों की जान चली जाती हैं।

       रक्त की कमी न हो इसीलिए हमेशा जनसेवा में समर्पित रहने वाली संस्था खुशी की उड़ान ने जे. एन. ग्लोबल एकेडमी के सहयोग से इसका बीड़ा उठाया।आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में पंडित दीनदयाल नगर चंदौली में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से  ब्लड डोनेशन कैम्प लगा कर आजादी के  75 वे वर्षगाँठ के अवसर पर 75 रक्तवीरों के सहायता से रक्तदान कर जीवन को संरक्षित करने का कार्य किया।
रक्तवीरो एवं वीरांगनाओं ने रक्तदान करते समय तिरंगा झण्डा हाथ मे लेकर  स्वतंत्रता दिवस के पूर्व शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।रक्तवीरो ने कहा कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा यह कहने वाले और आजादी मांगने के लिए नेताजी तो नही है पर उनके इसी संकल्प को आत्मसात कर हम दूसरों के जीवन को आजादी से रखने का अवसर खुशी की उड़ान प्रदान करा रही है।

इस अवसर पर खुशी के उड़ान संस्था के पदधिकारियो ने एक साथ लोगो से अपील करते हुए कहा कि "मौका दीजिये अपने खून को कई और रगों में बहने का ,यह एक लाजवाब तरीका है कई जिस्मो में जिंदा रहने का" जब आप रक्त देते है तो रक्तग्राही के परिवार में आपका स्थान उस परिवार के सदस्य के रूप में माना जाता है और उसकी नस और धमनियों में आपके रक्त का प्रवाह होता है।
 
वही सर सुंदरलाल अस्पताल (बी . एच. यू. ) के ब्लड बैंक प्रभारी संदीप कुमार ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। लेकिन करीब 75 प्रतिशत रक्त ही उपलब्ध हो पाता है, जिसके कारण लगभग 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हर साल सैकड़ों मरीज़ों की जान चली जाती है। 
सवा अरब आबादी वाले भारत देश में रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं है, जिसका एक बड़ा कारण है रक्तदान से जुड़ी जागरुकता का ना होना।सभी लोगो की नैतिक जिम्मेदारी है कि एक दूसरे को रक्तदान के जागरूक एवं प्रेरित करें।
     
इस अवसर पर संस्था की अध्यक्षा सारिका दुबे, उपाध्यक्ष जनार्दन शर्मा, महासचिव देव जायसवाल, रितिक कुमार, अमित सिंह, डॉ आराधना सिंह,सुकन्या दुबे, सुदीक्षा दुबे,सुजीत सिंह,अमित गोस्वामी, साक्षी साहनी, संध्या गुप्ता, अनिल गुप्ता, चितेश्वर, विकास, आहिल लोग रहें।

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