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खैरा की नदियों में हो रहे बालू उठाव में हो रही मनमानी, नियमों की उड़ रही है धज्जियां



खैरा/जमुई (Khaira/Jamui), 21 मई

◆ प्रह्लाद की रिपोर्ट :

खैरा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न नदियों के घाटों से बालू का उठाव महीनों से किया जा रहा है। मगर स्थानीय लोगों को यह जानकारी नहीं मिल पा रही है कि बालू का उठाव कितने फीट गहराई तक करना है। नदियों में बड़े-बड़े पोखर-तालाब जैसा काफी गहराई तक खुदाई किया जा रहा है।


बरनार, क्यूल एवं सुखनर नदी में एक ही जैसी स्थिति बनी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है मानो नदियों में गहरे तालाब पोखर का निर्माण किया जा रहा है। नदियों में किए गए बड़े-बड़े गड्ढे अगले महीने में तब और संकट का कारण बनेगा जब बरसात में नदी का दोनों किनारा पानी से लबालब भर जाएगा। स्थानीय लोग नदी कैसे पार करेंगे, यह बड़ा सवाल है।




● क्या कहते हैं पदाधिकारी?

खैरा के अंचलाधिकारी श्रीराम उरांव ने संपर्क करने पर कहा कि अप्रैल एवं मई माह में तीन बार स्थानीय एवं जिला के पदाधिकारियों ने बरनार नदी के प्रधान चक  एवं क्यूल नदी के पनभरवा घाट पर जिलाधिकारी  घाट  सहित कई घाटों का निरीक्षण किया था और बालू उठाव से जुड़े कर्मियों को निर्देश दिया था कि 3 मीटर से अधिक कहीं भी गहराई कर बालू का उठाव नहीं किया जाना है।


उक्त पदाधिकारियों में जमुई के अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी, एसडीपीओ डॉ राकेश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी डॉ राघवेंद्र कुमार त्रिपाठी, थानाध्यक्ष सिद्धेश्वर पासवान आदि शामिल थे।


यहां यह जानकारी दें कि तीनों नदियों में मनमानी तौर पर काफी गहरा किया जा रहा है। यही कारण है कि बरनार नदी में लगभग 1 माह पूर्व कोल्हुआ गांव के एक 16 वर्षीय युवक की मौत गड्ढे में डूबने से हो गई थी।


 यहां बता दें कि कुछ वर्ष पूर्व क्यूल नदी में बालू उठाव के दौरान   नरियाणा पुल से उत्तर एवं दक्षिण की ओर बालू का उठाव इस कदर किया गया था कि वहां मिट्टी निकल गया। आज पुल के दोनों तरफ इलाके के चरवाहे हरा-भरा घास चराने के लिए मवेशियों के साथ बैठे रहते हैं।

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