Breaking News

6/recent/ticker-posts

गिद्धौर : जानिए कैसे एप्पल बेर की खेती कर प्रेरणा बने पूर्वी गुगुलडीह के पूर्व मुखिया नारायण यादव

गिद्धौर प्रखंड के पूर्वी गुगुलडीह पंचायत के ढोलकटवा निवासी नारायण यादव पिछले साल भर से एप्प्ल बेर की खेती कर रहे हैं. जिससे उन्हें अच्छी सफलता मिली है.


पूर्वी गुगुलडीह/गिद्धौर (Purvi Guguldih/Gidhaur), 29 जनवरी :

➧ कंटेंट : सुशांत साईं सुन्दरम

➧ इनपुट : तारकेश्वर कुमार निराला 

कोरोना काल के बाद के दिनों में लोगों को बहुत कुछ नया सीखने को मिल रहा है. आज हम बता रहे हैं गिद्धौर प्रखंड के पूर्वी गुगुलडीह पंचायत निवासी नारायण यादव की कहानी. इन्होने एप्पल बेर की खेती कर सफलता पाई है.

पूर्वी गुगुलडीह पंचायत के पूर्व मुखिया रहे नारायण यादव ने डेढ़ साल पहले 7 एकड़ जमीन में एप्पल बेर की खेती शुरू की. जिसके बाद खेती में उनका योगदान काफी बढ़ा और वर्तमान में बहुत से अन्य किसान भी उनसे प्रेरणा ले रहे हैं. इसकी वजह है कि वे अब सामान्य धान या मौसमी सब्जियों की बजाय अपने खेतों में एप्पल बेर की खेती कर रहे हैं.

gidhaur.com से बात करते हुए उन्होंने अपने इस सफ़र के बारे में बताया. आत्मा जमुई के मदद से वे एप्पल बेर की खेती कर रहे हैं. इससे न सिर्फ उनकी कमाई दोगुनी हुई है बल्कि कुछ नया करने के लिए उन्हें सब तरफ से सराहना भी मिल रही है. वे आधुनिक तकनीक से एप्पल बेर की खेती कर रहे हैं. इसके वृक्षारोपण के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी भी मिली थी.

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से वे देख रहे थे कि खेती में उन्हें कुछ ज्यादा फायदा नहीं हो रहा था. इसलिए उन्हें लगा कि उन्हें कुछ अलग करना चाहिए. ऐसे में उन्हें एप्पल बेर के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद उन्होंने 7 एकड़ जमीन में इसके पौधे लगाये. सभी पौधे अच्छे से विकसित हुए. वह अपने खेत में जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं.

पूर्व मुखिया नारायण यादव बताते हैं -

शुरुआत में उन्हें लगता था कि अगर उनकी यह फसल भी सही से न हुई तो क्या होगा? साथ ही आसपास के लोग भी कहते थे कि यह पागलपन है. अच्छी-खासी धान की खेती को छोड़कर रिस्क ले रहे हैं. इनका पैसा बर्बाद ही होगा. लेकिन पौधे लगाने के तीन-चार महीने बाद जब ये सही से विकसित होने लगे और फूल आने लगे तो उन्हें लगा कि वे सही राह पर हैं.

उनके खेत में उपजने वाले एप्पल बेर की मांग बड़े स्तर पर है. जमुई, लखीसराय, मुजफ्फरपुर सहित अन्य स्थानीय बाजारों में उनके खेत से सीधा सप्लाई जाता है. उनके बारे में सुनकर दूर-दूर से भी लोग उनके खेत से फल खरीदने आते हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने सोचा भी न था कि उन्हें इतनी सफलता मिल जाएगी. लेकिन उन्हें ख़ुशी है कि उनकी मेहनत रंग लाई है.

उन्होंने बताया -

सबसे अच्छी बात कि हमारी लागत सिर्फ एक बार की थी. अब हम सही देखभाल से हर साल अच्छी आमदनी ले सकते हैं. एक बार फसल लेने के बाद आपको पेड़ की कटाई-छंटाई करनी होती है ताकि इसमें नई शाखाएं आयें और ज्यादा से ज्यादा फूल भी.

वे कहते हैं कि किसानों के लिए रिस्क लेना मुश्किल होता है. लेकिन यह भी सच है कि अगर वे कुछ नया ट्राई नहीं करेंगे तो आगे नहीं बढ़ पाएंगे. इसलिए ज्यादा न सही तो छोटे स्तर पर, लेकिन किसानों को हर बार कुछ नया करने की कोशिश जरुर करनी चाहिए. आज बहुत से किसान उनके खेतों पर आकर उनसे एप्पल बेर के बारे में जानकारी ले रहे हैं. 

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव या समाचार को हमसे साझा करना चाहते हैं तो हमें mail@gidhaur.com पर लिखें.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ