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बाबा कोकिलचंद धाम को धार्मिक आस्था के केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में उठाये जाएं कदम : सुशान्त

गंगरा/गिद्धौर (Gangra/Gidhaur), 9 जनवरी : कालखंड में मानव रूप धारी ऐसे कई अवतरण हुए हैं जो अपने आचरण, व्यवहार और सद्गुणों की वजह से महामानव सिद्ध हुए। चंदेल राजवंशों की रियासत रहे गिद्धौर की धरा भी ऐसे अगणित महामानव से भरी रही है। ऐसे ही एक महामानव गिद्धौर के गंगरा में हुए जो बाबा कोकिलचंद के नाम से चारों ओर विख्यात हैं। गंगरा में पिंडी स्वरूप में विराजित बाबा कोकिलचंद की महिमा किसी से छिपी नहीं है। उक्त बातें गिद्धौर के सामाजिक कार्यकर्ता व बाबा कोकिलचंद विचार मंच के सदस्य सुशान्त साईं सुन्दरम ने कही।

उन्होंने कहा कि मानव रूप में महामानव बाबा कोकिलचंद अपने कर्मों, विचारों एवं आदर्शों के कारण पूजनीय हैं। बाबा कोकिलचंद के 3 सूत्र : अन्न की रक्षा, स्त्रियों की रक्षा एवं नशा मुक्ति समाज को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं। इन तीन सूत्रों में ही जीवन का गूढ़ रहस्य छुपा है। अन्न की रक्षा करना हर मानव के लिए आवश्यक है, वहीं स्त्रियों की मर्यादा एवं सम्मान की रक्षा करना प्रत्येक प्राणी का कर्तव्य है। नशा समाज को खोखला बना देता है। ऐसे में बाबा कोकिलचंद के अति महत्वपूर्ण सूत्रों में शामिल 'नशा नहीं करना', लोगों को सही मायने में इंसान बनाने में कारगर है। बाबा कोकिलचंद के विचार बाल्यकाल से ही यदि बच्चों के मन में डाले जाएं तो वे संस्कारवान भारत की परिकल्पना को शाश्वत कर सकते हैं।

सुशान्त ने कहा कि बाबा कोकिलचंद के अनन्य सेवक स्थानीय निवासी शिक्षक चुनचुन कुमार बड़ी तन्मयता और सेवा भाव के साथ बाबा कोकिलचंद के आदर्श जीवन एवं उनके सूत्रों को जन-जन तक पहुंचाने में लगे हैं। उनका यह प्रयास सफल हो यही मंगल कामना है।

बाबा कोकिलचंद विचार मंच के माध्यम से धरा का हरित श्रृंगार करते हुए क्षेत्र के महान विभूतियों की स्मृति में जो वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है इससे एक नई ऊर्जा का सूत्रपात हुआ है। इस वृक्षारोपण अभियान से कई फायदे आमजनमानस को मिलेंगे। पहला तो यह कि बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, दूसरा कि नौनिहालों को प्रकृति की महत्ता समझने-समझाने में सहूलियत होगी, तीसरा समय के साथ स्मृतियों में धूमिल हो रहे गिद्धौर, जमुई एवं स्थानीय क्षेत्र के महान विभूतियों की स्मृतियां पीढ़ियों में बनी रहेंगी। उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि बाबा कोकिलचंद विचार मंच के माध्यम से सामाजिक जागरूकता का संदेश जन-जन में फैलाने का अवसर मिला है।

सुशान्त साईं सुन्दरम ने कहा कि प्रशासनिक और आधिकारिक मायनों में बाबा कोकिलचंद के मंदिर निर्माण सहित अन्य आवश्यक उत्थान कार्य फिलहाल गौण हैं। उम्मीद है इस पर भी पहल कर बाबा कोकिलचंद धाम को धार्मिक आस्था के एक बड़े केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में भी सकारात्मक कदम आने वाले दिनों में उठाए जाएंगे। आने वाले कई वर्षों तक बाबा कोकिलचंद के विचार लोगों को प्रेरित करते रहेंगे एवं जनमानस के हृदय में श्रद्धा भाव से उनकी पूजा की जाती रहेगी। बाबा कोकिलचंद केवल पूजनीय ही नहीं बल्कि अनुकरणीय भी हैं।

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