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खैरा : विश्व मृदा दिवस पर चला जागरूकता अभियान, रसायन का प्रयोग न करने की ली शपथ

 


खैरा/जमुई (Khaira/Jamui), 6 दिसंबर : विश्व मृदा दिवस के अवसर पर साईकिल यात्रा एक विचार मंच, ग्रीनपीस एवं जीविका के संयुक्त प्रयास से खैरा प्रखण्ड के सगदाहा ग्राम में मिट्टी को बचाने के लिए संयुक्त रूप से पहल की गई। सगदाहा ग्राम के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से "अपनी खेती को टिकाऊ और मुनाफ़े वाली बनाने के लिए अपनी मिट्टी में ऐसे कृषि रसायनों का प्रयोग नहीं करेंगे जो मिट्टी और उसमें रहने वाले जीव जंतुओं के लिए हानिकारक हैं" शपथ ली गयी।



इसके पूर्व साईकिल यात्रियों का एक दर्जन समूह जमुई से चलकर सगदाहा ग्राम पहुँची और मिट्टी के उवर्कता बरकरार रखने वाले 50 पौधा करेच, नीम, शरीफा, आंवला कटहल सहित कई पौधा रोपण किया गया। 



इस अवसर पर खेती में महिलाओं की भागीदारी करने के लिए संगोष्ठि भी आयोजित की गई जिसमें उपस्तिथ जीविका के जिला जीवोकपार्जन प्रबंधक कौटिल्य कुमार ने बताया कि एक अध्य्यन से जानकारी प्राप्त हुआ है कि भारत में लगभग 70 लाख हेक्टर ज़मीन मिट्टी खराब होने के कारण खेती योग्य नही है। यह सालाना 10 प्रतिशत की गति से बढ़ रही है और यदि अभी इसपर रोक नहीं लगाई गई और 2050 तक भारत की आधी ज़मीन खेती करने योग्य नहीं रह जाएगी। दूसरी तरफ़ यह माना जा रहा है कि भारत की आबादी 2030 तक 143 करोड़ और 2050 तक 180 करोड़ तक पहुँच जाएगी। इस जनसंख्या का पेट भरने के लिए क्रमशः 31 और 34 करोड़ टन खाद्यान्न की ज़रूरत होगी। ऐसे में यदि हमारी 50% ज़मीन खेती लायक़ नहीं रही तो देश खाद्यान्न के भयानक संकट से जूझने को मजबूर हो जाएगा। 


मौके पर उपस्थित ग्रामीणों को मंच के सदस्य विवेक कुमार ने बताया कि मिट्टी हैं तो हमारा जीवन हैं। पानी के साथ-साथ मृदा भी हमारा जीवन हैं। यह मिट्टी प्रकृति की देन हैं। इसे हमे स्वास्थ्य बनाए रखना हैं। इसके लिए हमें अपने खेतों में हानिकारक किट नाशक पदार्थो के जगह केचुआ निर्मित खाद का उपयोग करना चाहिए जिससे ना केवल यह उपजे अनाज स्वास्थ वर्धक होगा बल्कि खेतो की आयु बनी रहेगी। 


सदस्य अजित कुमार एवं संतोष कुमार ने चर्चा कि वर्ष विश्व मिट्टी दिवस का थीम 'क्षारियता से मिट्टी को बचाना और मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाना' निर्धारित किया गया है क्योंकि पूरी दुनिया में हानिकारक रासायनिक खेती और त्रुटिपूर्ण खेती की विधियों के कारण मिट्टी में नमक की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक होने से मिट्टी की उत्पादन क्षमता तेज़ी से घटने लगती है और अगर समय रहते उसका उपचार नहीं किया जाए तो मिट्टी की ऊपरी सतह पर नमक की परत जाम जाती है और मिट्टी बिलकुल बंजर हो जाती है। इससे बचाये रखने के लिए पहल सभी ग्रामीण मिल के करें।


इस अवसर पर ग्रीनपीस के संतोष कुमार, सदस्य शेषनाथ राय, अजित कुमार, शैलेश भारद्वाज, शेखर कुमार, अभिषेक कुमार, सिंटू कुमार, अधिक सिंह सहित दो दर्जन महिला एवं किसान उपस्तिथ थे।

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