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माँ दुर्गा के धरती पर आगमन का दिन है महालया, अगले दिन से होती है नवरात्र की शुरुआत



धर्म एवं आध्यात्म (अपराजिता) : महालया (Mahalaya) मां दुर्गा (Maa Durga) के धरती पर आगमन का दिन है। आश्विन माह की अमावस्या पितरों की विदाई का अंतिम दिन है तथा आज के दिन महालया भी मनाया जाता है। इसके अगले दिन शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratra) की शुरुआत होती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर से शुरू हो रही है।

 *महालया का महत्व

 पितृ श्राद्ध समाप्ति के बाद से ही दुर्गा पूजा प्रारंभ हो जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता रानी कैलाश पर्वत (Kailash Parwat) से पृथ्वी पर आती हैं और 10 दिनों तक यही रहती हैं। महालया के बाद ही मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जाता है।

* ऐतिहासिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महालया के ही दिन भगवान ब्रह्मा (Brahmaha), विष्णु (Vishnu) और महेश (Mahesh) ने मिलकर मां दुर्गा के रूप में एक शक्ति को अत्याचारी राक्षस महिषासुर (Mahishasur) के संहार के लिए सृजित किया था। महिषासुर को वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या मनुष्य उसे मार नहीं सकता है। ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों (Devils) का राजा तो बन ही गया था। साथ ही वह लगातार देवताओं पर भी आक्रमण करता जा रहा था। एक बार देवताओं से युद्ध हुआ और वे हार गए। इसके बाद देवलोक में महिषासुर का राज हो गया। तब सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ-साथ आदिशक्ति की आराधना की। इसी दौरान देवताओं के शरीर से एक दिव्य प्रकाश निकला। उसने मां दुर्गा का स्वरूप धारण किया। दुर्गा ने महिषासुर से 9 दिनों तक भीषण युद्ध किया और अंत में देवी ने दुष्ट महिषासुर का वध कर दिया। 

*महालया को लेकर एक अन्य कहानी भी प्रसिद्ध है

 हिंदू मान्यता के अनुसार मां दुर्गा का भगवान भोलेनाथ (Bholenath) से विवाह होने के बाद उनके मायके आगमन को महालया के रूप में मनाया जाता है। उनके आगमन पर खास तैयारी की जाती है। मान्यता अनुसार इस दिन माता रानी कैलाश पर्वत से भगवान गणेश (Ganesh), भगवान कार्तिकेय (God Kartikey), देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshami) तथा मैया सरस्वती (Goddess Saraswati) के साथ पृथ्वी लोक पर आती हैं। महालया अमावस्या का खास महत्व गरुड़ पुराण (Garud Puran) में बताया गया है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन हमारे पूर्वज हवा के रूप में दरवाजे पर आकर दस्तक देते हैं। साथ ही अपने हर परिवार वालों से श्राद्ध की इच्छा रखते हैं।

*बंगाल में क्यों महत्वपूर्ण है महालया 

बंगाल में इसी दिन मां दुर्गा की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार उनकी आंख बनाते हैं और उनमें रंग भरने का कार्य करते हैं।

" सर्व मंगल मांगल्ए शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ए त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।"

 इस श्लोक से सभी के कल्याण हेतु मां को नमन किया जाता है। इस श्लोक का अर्थ है सभी का मंगल करने वाली देवी, सभी को शरण देने वाली, तीन नेत्रों और अत्यंत सुंदरी नारायणी हम आपको नमन करते हैं। इस वर्ष नवरात्र 7 अक्टूबर से प्रारंभ है तथा विजयादशमी 15 अक्टूबर को है। दुर्गा मां आप सभी को स्वस्थ रखें। जय माता दी।

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