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गिधौरिया बोली को मिला राष्ट्रीय पहचान, रंग लाया साहित्यकार ज्योतींद्र मिश्र का प्रयास

 

【 न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-

      जमुई जिले में बोले जाने वाली गिधौरिया बोली के उन्नयन ,एवम संरक्षण के लिए सतत प्रयत्नशील स्थानीय  साहित्यकार ज्योतीन्द्र मिश्र की मेहनत अब रंग लाने लगी है। गजल को गाँव तक ले जाने वाले इकलौते गज़लगो के रूप में श्री मिश्र ने गिधौरिया बोली को गुमनामी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। गिधौरिया बोली की अक्षुण्णता को सुदृढ करने के लिए ज्योतींद्र मिश्र के गजल को नई दिल्ली स्थित संस्था सर्वभाषा ट्रस्ट ने अपनी त्रैमासिक पत्रिका में समुचित स्थान प्रदान कर 'गिधौरिया बोली' को राष्ट्रीय पहचान दे दी है। ज्ञात हो यह ट्रस्ट देश भर की 49 भाषाओं में रचनाएं प्रकाशित करता है। भाषा, साहित्य, संस्कृति को समर्पित यह निवन्धित संस्था की देश व्यापी पहचान है । 

प्रेषित ग़ज़ल। ◆gidhaur.com

वहीं, राष्ट्रीय पटल पर गिधौरिया बोली के ख्याति से प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसके संरक्षक साहित्यकार ज्योतींद्र मिश्र ने बताया कि कभी राजा महाराजाओं का गढ़ रहा गिद्धौर के इतिहास में गिधौरिया बोली की साहित्यिक महत्वता है, इसे राष्ट्रीय पहचान मिलने से गिद्धौर व गिद्धौर वासी अभिभूत हुए हैं। श्री मिश्र के प्रयास की सराहना करते हुए ध्रुव गुप्त, चुनचुन कुमार, सुधीर झा,साधना मिश्र, कुन्दन कुमार, रजनीकांत पाठक आदि ने बधाई का पात्र बताया है।

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