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सोमवार, 28 सितंबर 2020

चकाई विधानसभा : दशकों से कुंद पड़ी है बरनार की धार, किसी ने नहीं दिखाई संजीदगी


News Desk | अभिषेक कुमार झा 】:-

प्रकृति की गोद में पल रहे बरनार जलाशय योजना की महत्व आकांक्षाएं उसकी पहचान में दशकों से सितारे गढ़ते रही है लेकिन, इस बार के चुनावी मौसम में भी वादों और प्रयासों के लिहाज से परियोजना बीहड़ दिख रही है।


                चकाई विधानसभा क्षेत्र में पिछले 45 वर्षों से बरनार जलाशय परियोजना एक वैसे फरिश्ते की तलाश में है जो उसका उद्धार कर सके। बरनार जलाशय परियोजना यहां के किसानों के लिए उम्मीद की रोशनी हो या न हो, लेकिन बरनार यहां के नेताओं के लिए शुभ लाभ जरूर साबित हुई है। बरनार की बैसाखी से अब तक दर्जनभर नेता यहां से दिल्ली व पटना तक चुनकर गए, लेकिन बरनार की धार अब तक कुंद ही पड़ी है। जिले के सोनो  प्रखंड मुख्यालय से 19 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित इस परियोजना की नींव सन 1974 में पड़ी। सन 1990 तक गैमेन इंडिया के द्वारा काम भी तीव्र गति से हुआ, लेकिन 1990 में वन एवं पर्यावरण विभाग का अड़ंगा लगा, इस महत्वाकांक्षी परियोजना का निर्माण कार्य बंद कर दिया गया, तब से लेकर आज तक यह परियोजना अधर में लटकी है। गौरतलब है कि, संयुक्त बिहार की 10 सबसे बड़ी परियोजनाओं मे यह चौथे नम्बर पर है।

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 [ सिंचित हो सकेगी 56 हजार एकड़ जमीन ] -

शुरुआती दौर में बरनार बांध की प्राक्कलित राशि 8 करोड़ रुपये थी। एक दशक बाद केंद्रीय जल आयोग के निर्देशानुसार तैयार किया गया पुनरीक्षित प्राक्कलन 23 करोड़ का था। सन 1983 में उक्त परियोजना की प्राक्कलित राशि 60 करोड़ तक जा पहुंची। निर्माण व अन्य मदों में बेतहाशा वृद्धि के कारण 1992 में बरनार जलाशय की प्राक्कलित राशि दो अरब तीस करोड़ की हो गई। 2005 में उक्त बांध का प्राक्कलन 3 अरब 66 करोड़ तथा 2012 में इसकी प्राक्कलित राशि तकरीबन  आठ अरब रुपये हो गई। 282.7 मीटर लंबे तथा 76.7 5 मीटर ऊंचे उक्त बांध का जल संचयन क्षेत्र दुर्गावती परियोजना के बराबर है। बरनार बांध के बन जाने से सोनो, झाझा,गिद्धौर और खैरा प्रखंड के किसान खुशहाल हो पाएंगे। बरनार बांध के कारण करीब 1135. 87 एकड़ भूमि डूबेगी पर बांध बन जाने से 56 हज़ार एकड़ जमीन को सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।22 क्विंटल अतिरिक्त पैदावार होगा तथा 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन संभव हो पाएगा। 55770 एकड़ बालूबुर्द जमीन कृषि योग्य बन जाएगी। 44 किलोमीटर लंबी मुख्य कैनाल के बैंक पर लगभग 450 एकड़ जमीन पर पेड़ लगाया जा सकेगा। मछली पालन का विशाल उद्योग तैयार होगा।


[ भूमि अधिग्रहण का काम है अधूरा ] -

हाल के दिनों में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने बरनार को लेकर सक्रियता तो जरूर दिखाई है। घोषणा की गई कि जल्द ही निर्माण काम प्रारंभ हो पाएगा, पर जिस अड़चन के कारण 1990 में इस परियोजना का काम बंद हुआ था उसे अब तक दूर नहीं किया जा सका। बरनार के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा नहीं हो सका है। 1135. 87 एकड़ सरकारी गैर वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव के आलोक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से पर्यावरण एवं वन विभाग को 468.11 एकड़ सरकारी गैर वन भूमि के हस्तांतरण की स्वीकृति मिली है। शेष 667.76 एकड़ सरकारी गैर वन भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया जारी है।


[ सांसद चिराग सहित जिला प्रशासन कर चुके हैं स्थल निरीक्षण ]

जमुई जिले के सोनो प्रखंड अंतर्गत गन्दर पंचायत के कटहराटांड़ के बरनार नदी के उदगम स्थल पर अवस्थित बहुचर्चित बरनार जलाशय योजना के प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण करने बीते 22 जुलाई 2018 को स्थानीय सांसद चिराग पासवान के साथ जिला प्रशासन व विभागीय अधिकारियों की एक टीम पहुंची थी, जिसके बाद लोगों में सकारात्मक उम्मीद जगी थी पर विगत पांच दशकों से यह परियोजना चुनावी समर में वायदों की बारात सजी पर बरनार को भूल जाना स्थानीय नेताओं की फितरत में शामिल हो गयी है।

- [ सत्त्ताधारी का है कहना ]-

एमएलसी संजय प्रसाद कहते हैं कि चकाई विधानसभा क्षेत्र की जनता यदि मौका देती है तो बर्नार जलाशय योजना को जीवनदान देना मेरी प्राथमिकताओं में रहेगी। इसके बाद सड़क, पूल आदि भूलभूत सुविधाओं को विस्तार करने पर बल दिया जाएगा। अब तक अपेक्षा से अधिक क्षेत्र में कार्य किये गए हैं। 5 वर्षों के संघर्ष के बाद ही आज पंचायत समिति, मुखिया व जिला परिषद को वेतन व उनका हक उन्हें मिल पा रहा है।


- [ कहती है जनता ] -


  युवा संघ सोनो के संयोजक पंकज सिंह बताते हैं कि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही है। प्रारंभिक काल से क्षेत्र माओवादी की मार झेलता रहा है। हमारे पूर्वजों की मांग पूरी करने का भी नेताओं ने प्रयास किया है, फिर भी न तो बरनार की फाइलें आगे बढ़ी है और न ही  यहां के सम्भावनाओं पर ही ध्यान दिया गया है।


चकाई विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण अनिल यादव बताते हैं कि नैयाडीह गांव आज भी विकास के निचले पायदान पर है। वर्तमान विधायक विकास को गति दे पाने में हाफ रहे है। क्षेत्र को कर्मठ जनप्रतिनिधियों की जरूरत है।

वहीं, ग्रामीण रवीन्द्र कुमार कहते हैं कि चकाई विधानसभा क्षेत्र में विगत पांच वर्षों में कुछ विकास तो हुआ है पर अभी भी सड़क, पूल आदि मूलभूत सुविधाओं को विस्तार करना जरूरी है।  


-[ चकाई विधानसभा पर एक नजर ]-

◆ वर्तमान विधायक : सावित्री देवी (राजद)

◆ पुरुष वोटर     :   151019

◆महिला वोटर  : 133652

◆ कुल वोटर      : 284685

◆ विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख जरूरतें           : 1). बरनार जलाशय योजना

2). डिग्री कॉलेज   3). पश्चिमी कर्मटीया में स्वर्ण भंडार की पहचान

4). सोनो बाजार में बायपास निर्माण

5). रोजगार हेतु उद्योग की स्थापना

 ◆ *परिचय :*  बिहार का यह  अंतिम विधानसभा क्षेत्र (243) है जहां के चुनावी अखाड़े में इस बार 'एक अनार सौ बीमार' वाली स्थिति उत्पन्न होते दिख रही है। वहीँ, दो दिग्गज राजनेताओं के बीच रही 5 वर्षों की राजनीतिक रेस के समापन में चुनांवी संखनाद होते ही राजद विधायक सावित्री देवी एवं जदयू नेता व पूर्व विधायक सुमित सिंह अपनी-अपनी पार्टी में अपनी दावेदारी को लेकर मशगूल दिख रहे हैं। यहां यह दीगर बात है कि सुमित सिंह का राजनीतिक पृष्टभूमि राजनीतिक परिवार से ही शुरू हुआ है। इनके अलावे चुनावी रेस में एमएलसी संजय प्रसाद का भी नाम प्रत्याशियों की सूची में जूटता दिख रहा है। इनके आलावे क्षेत्र के विकास एवं युवाओं के बीच कई प्रत्याशी इस चुनावी समर में अपनी किस्मत की आजमाइश कर रहे हैं। यूं तो इस क्षेत्र की कई योजनाएं सरकारी फाइलों में धूल फांक रही है । वहीं , पिछले चुनाव के दौरान कुछ ऐसे भी राजनीतिक सूरमा रहे जिनके द्वारा किये गए विकास के दावे इस चुनावी समर में भी हवा हवाई साबित हो रहे हैं।


Input : राकेश, सोनो '

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