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बता दें कि प्रतिदिन इस पुल पर दर्जनों की संख्या में छोटी-बड़ी गाड़ियों का आवागमन होता है. पुल निर्माण हो जाने से सुलभता हुई है. किसी ज़माने में ठुड्ढी भर पानी में डूबकर नदी पार करने वाले वयोवृद्ध हो चुके ग्रामीण पुल के निर्माण से सुगमतापूर्वक यात्रा कर पाते हैं. इस पुल के रास्ते बच्चे साइकिलों से विद्यालय-ट्यूशन पढ़ने जाते हैं.
चिंता का विषय यह है कि भारी वाहनों, बालू व ईंट ढुलाई आदि की वजह से पुल को जोड़ने वाले सड़क की स्थिति ख़राब होती जा रही है. दक्षिण दिशा में पुल से ढलान में सड़क से पीच उखड़ती जा रही है, नीचे के मिट्टी की सतह ऊपर आ गई है और बड़े वाहनों के पहियों से वहां गड्ढे बन गए हैं. बरसात की वजह से उन गड्ढों में पानी भर जाता है. पुनः उस पानी वाले गड्ढे में दूसरे वाहन के पहिये से वो गड्ढा और भी गहरा होता जा रहा है.
वहीं उत्तर की ओर दुर्गा मंदिर की तरफ से पुल पर चढ़ाई के सड़क में भी दरारें आ गई है. साथ ही सड़क भी धंस सा गया है. इस बारे में स्थानीय लोगों से बातचीत के दौरान बताया गया कि पुल की उंचाई जमीनी सतह से काफी ऊँची है. जिसके लिए सड़क का निर्माण मिट्टी भरकर किया गया.
लेकिन मिट्टी के ठीक ऊपर पीच से सड़क निर्माण कर दिए जाने की वजह से पकड़ नहीं बनी रही और निर्माण कार्य के पूर्ण हुए ढाई साल होते-होते ही सड़क डैमेज हो गया.