【न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】:-
अंधभक्ति की पराकाष्ठा पार कर कोरोना माई की पूजा अब गिद्धौर में भी बयार बन गई है। वायरस के भयाक्रान्त प्रभाव और अंधविश्वास ने एक न दिखने वाले वायरस को 'माई' की संज्ञा दे दी। माई का दर्जा पाते ही गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र की महिलाएं कोरोना से निजात को लेकर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना में जुट गई।
इसकी बानगी गिद्धौर दुर्गा मंदिर के उलाई नदी घाट पर मंगलवार की सुबह देखने को मिली, जहाँ दर्जनों महिलाएं कोरोना की पूजा अर्चना करने के लिए एकत्रित हुए। अंधविश्वास डूबीम महिलाएं नदी तट पर पहुंचकर आधा घंटा से अधिक समय तक पूजा अर्चना की। पान के पत्ते, मिठाई, अगरबत्ती, सिंदूर आदि सामग्री के साथ कोरोना भक्ति का दस्तूर चलता रहा। अब महिलाओं को छोड़िये इनके साथ पुरुष वर्ग भी नजर आए। पूछने पर महिलाओं ने बताया कि कोरोना माई को शांत कर भारत से चले जाने के लिए पूजा की जा रही है।
बहरहाल, आस्था जब अंधविश्वास में बदलती है तो इस तरह के पूजा-पाठ शुरू हो जाते हैं। गिद्धौर के उलाय नदी पर भय और अंधविश्वास की शक्ति का एहसास कराने वाला यह दृश्य उक्त पंक्ति को चरितार्थ कर दिया है।
अंधभक्ति की पराकाष्ठा पार कर कोरोना माई की पूजा अब गिद्धौर में भी बयार बन गई है। वायरस के भयाक्रान्त प्रभाव और अंधविश्वास ने एक न दिखने वाले वायरस को 'माई' की संज्ञा दे दी। माई का दर्जा पाते ही गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र की महिलाएं कोरोना से निजात को लेकर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना में जुट गई।
इसकी बानगी गिद्धौर दुर्गा मंदिर के उलाई नदी घाट पर मंगलवार की सुबह देखने को मिली, जहाँ दर्जनों महिलाएं कोरोना की पूजा अर्चना करने के लिए एकत्रित हुए। अंधविश्वास डूबीम महिलाएं नदी तट पर पहुंचकर आधा घंटा से अधिक समय तक पूजा अर्चना की। पान के पत्ते, मिठाई, अगरबत्ती, सिंदूर आदि सामग्री के साथ कोरोना भक्ति का दस्तूर चलता रहा। अब महिलाओं को छोड़िये इनके साथ पुरुष वर्ग भी नजर आए। पूछने पर महिलाओं ने बताया कि कोरोना माई को शांत कर भारत से चले जाने के लिए पूजा की जा रही है।
बहरहाल, आस्था जब अंधविश्वास में बदलती है तो इस तरह के पूजा-पाठ शुरू हो जाते हैं। गिद्धौर के उलाय नदी पर भय और अंधविश्वास की शक्ति का एहसास कराने वाला यह दृश्य उक्त पंक्ति को चरितार्थ कर दिया है।