【न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा 】:-
किस सुविधा की बात करते हैं, साहब! यह गिद्धौर है, यहां काम धरातल पर कम और कागजों पर अधिक होता है। यह अफसाना है गिद्धौर के धोबघट हाइ स्कूल का जिसे प्रदेशों से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए गिद्धौर बीडीओ गोपाल कृष्णन ने क्वेरेंटिंन सेंटर की सूची में नामित किया था, पर विडम्बना यह है कि वैश्विक आपदा काल में भी
सरकारी महकमे के अधिकारी खानापूर्ति के लिए कई क्वेरेंटिंन सेंटर को कागजों पर ही दौड़ाकर सरकारी राशि का दुरुपयोग कर रहे हैं।
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धोबघट हाई स्कूल, गिद्धौर। |
एकत्रित जानकारी अनुसार, प्रखंड विकास पदाधिकारी के पत्रांक 258 दिनांक 20/05/2020 के माध्यम से उच्च विद्यालय धोबघट को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया। विद्यालय प्रधान को इसका पत्र 21 मई को प्राप्त हुआ। जिसके बाद विद्यालय प्रधान कामता प्रसाद ने पत्रांक 19 के माध्यम से 22 मई को गिद्धौर बीडीओ से धोबघट सेंटर पर प्रवासी के आवासन के लिए आवश्यक सामग्री व राशि की मांग की गई लेकिन मिली नही। अभी तक यहां एक भी प्रवासी का आगमन नही हुआ है, बावजूद इसके उच्च विद्यालय धोबघट सेंटर के नाम पर दैनिक प्रतिवेदन में 20 प्रवासी को पंजीकृत दिखाया गया। 28 मई के प्रतिवेदन की माने तो, सभी पंजीकृत प्रवासी के घर जाने की रिपोर्ट पेश की गई है।
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विद्यालय प्रधान, कामता प्रासाद। |
हालांकि, कागजों पर चल रहे इन क्वेरेंटिंन सेंटर के विषय में अंचल अधिकरी अखिलेश सिन्हा से जब पूछा गया तो उन्होंने सवालों पर अपना पल्ला झाड़ते हुए मामले से खुद को अनभिज्ञ बताया।
यहां यह कहना अनुचित नही कि, हो सकता है प्राचार्य ने यह पत्र इसलिए लिखा ताकि इस ताम झाम से खुद को अलग रख सके, और महज एक पत्र से ही जिम्मेदारियों का निर्वहन कर दिया। यह भी जांच का विषय बनता है।
खैर, जो हो पर एक बात तो स्पष्ट है कि गिद्धौर के प्रशासनिक अधिकारी के देख रेख में ऐसे रिपोर्ट देने वाले ने नामित 20 प्रवासियों के नाम पर उनके भोजन, आवासन सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं के नाम पर गढ़ी कमाई का हॉटस्पॉट बनाया है।