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अलीगंज : लॉकडाउन के मद्देनजर घर पर ही उपवास कर रहे हैं हड़ताली शिक्षक

अलीगंज | चंद्रशेखर आजाद :- शिक्षक हड़ताल पर सरकार के चुप्पी से शिक्षकों में व्यापक आक्रोश है. सहायक शिक्षक- राज्यकर्मी का दर्जा पूर्ण वेतनमान व सेवाशर्त की मांग पर शिक्षक 17 फरवरी से ही हड़ताल पर हैं. लेकिन सरकार हड़ताली शिक्षकों से बात नही कर रही है. इन मसलों को लेकर शिक्षक लॉकडाउन में भी अपना आक्रोश प्रकट करने से नही रुक रहे हैं. हड़ताली शिक्षकों ने घर को ही आंदोलनस्थल बनाकर अपनी आवाज उठानी शुरु कर दी है. इसी क्रम में हड़ताली शिक्षक समूहों ने कोरोना संकट में शिक्षकों के प्रति उपेक्षापूर्ण सरकारी व्यवहार और कर्मचारी भर्ती में नियोजनवाद के खिलाफ प्रदेश भर में अपने घरों में में एक दिवसीय उपवास रखते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त की है. हाथों में तख्तियां लेकर शिक्षकों ने बालबच्चों समेत उपवास पर बैठ अपना दर्द सोशल मीडिया पर भी साझा कर रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि जबतक सरकार शिक्षकों के हड़ताल के मसले पर अपना स्टैंड स्पष्ट करते हुए हड़ताली शिक्षकों के विरुद्ध हुए बर्खास्तगी निलंबन प्राथमिकी समेत विभिन्न दमनात्मक कारवाईयों को वापस नही करती, शिक्षक हड़ताल में बने रहने को बाध्य हैं. सरकार अगर संवेदनशील होती तो शिक्षकों को सहायक शिक्षक- राज्यकर्मी घोषित करते हुए कोरोना आपदा के बाद ही सही वेतनमान को लेकर वार्ता की लिखित घोषणा करके शिक्षक हड़ताल को अविलंब समाप्त कराती, लेकिन सरकार इस मसले पर चुप्पी साधकर अपनी बेरुखी ही दर्शा रही है. इस संबंध में जानकारी देते हुए टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के जिला अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार ने कहा कि सरकार को हड़ताली शिक्षकों के मसले पर संज्ञान लेते हुए संवेदनशीलता के साथ पहल करनी चाहिए।
कोरोना संकट में सरकार द्वारा चलाये जा रहे आपदा व राहत अभियानों को मजबूती से जमीन पर लागु करने में शिक्षक समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करने को तैयार हैं। गौरतलब है कि निर्वाचन, जनगणना, आपदा समेत सरकार के तमाम अभियानों की महत्वपूर्ण कड़ी नियोजित शिक्षक ही हुआ करते हैं।  संगठन के जिला सचिव राजेश कुमार, सुनील कुमार जिलाकोषाध्यक्ष कृष्णमुरारी और जिला प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी अभिषेक राज व अलीगंज प्रखंड अध्यक्ष सरजीत कुमार, महासचिव सह प्रवक्ता विश्वबंधु  ने कहा कि शिक्षा अधिकार कानून की धज्जियां उड़ाते हुए आरटीई के मापदंडों पर खरे शिक्षकों के साथ भी सरकार  उपेक्षापूर्ण व्यवहार उसके शिक्षाविरोधी मानसिकता को ही दर्शाता है. लोककल्याणकारी राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिक जवाबदेही है। रहा है।अभी भी वक्त है शिक्षा और स्वास्थ्य के पूर्ण सरकारीकरण की दिशा में सरकार सोचे. नियोजित शिक्षक कोरोना संकट के खिलाफ सरकार और जनता के साथ मजबूती से खड़े रहने को दृढ़संकल्पित हैं.