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बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह की कलम से पढ़िए जीवन में आलोचकों का महत्व



[संकलन : अनूप नारायण | पटना] :

हर इंसान में अच्छाई और बुराई मौजूद होती है।और हर इंसान से अच्छा - बुरा जाने या अनजाने में हो ही जाता है। इससे धरती पर कोई भी इंसान अछूता नही है । यदि कोई कहे की जीवन में कभी कोई हमसे ग़लत नही हूवा है तो वो झूठ बोल रहा है।आपके हर कार्य की समीक्षक  रूपी प्रशंसक या आलोचनक आपके बीच मौजूद रहकर करते रहते है । आप स्वयं भी इस पंक्ति में शामिल है।कुछ लोग तो ईश्वर की भी कभी - कभी आलोचना कर देते है ।आलोचना में हैं आपकी जिंदगी बदलने की ताकत।जीवन में आलोचक ही कराते हैं सही-गलत कार्य की पहचान’ जिससे हम सभी अवगत होते है और पीड़ा की भी अनुभूति होती है।कबीर दास जी भी कहे है कि:- निंदक नियरे राखिए........।जीवन में आलोचक बहुत जरूरी हैं, क्योंकि आलोचक ही आपको सही और गलत कार्य करने के बारे में दृष्टि देते है।वैसे ईश्वर सर्वज्ञ हैं। बहुत से व्यक्ति जीवन यात्रा में कई कार्य तो करते हैं,लेकिन किसी- किसी स्तर पर वह ग़लत कर बैठते हैं। इसलिए जीवन में आलोचकों का होना जरूरी है। दोस्तों जब आप किसी व्यक्ति की आलोचना को धैर्य-पूर्वक सुनते हैं तो इससे आपको अच्छा श्रोता बनने में मदद मिलती हैं। इससे आप सामने वाले व्यक्ति के नज़रिए का विश्लेषण करते हैं और अलग-अलग एंगल से बात को समझने का प्रयास करते हैं इससे आपको कई नई बाते सीखने का मौका मिलता है। जो आपकी जिंदगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।आलोचना के कारण आपको अपने अंदर झाँकने का मौका मिलता हैं, आपको महसूस होता है कि दुनिया में कितने प्रकार के विचार मौजूद हैं। इससे आप अपनी कमजोरियों के बारे में जान पाते हैं और उन्हें अपनी ताकत में बदलने का प्रयास शुरू कर देते हैं। जब कोई व्यक्ति आपके भले के लिए आलोचना करता हैं, तो आपके अंदर विनम्रता बढ़ने लगती है और आप पोज़ेटिव बनते हैं।एक सच्चा मेहनतकश इंसान तालियो से खुश नही होताओर ना ही लोगों की गालीयो का बुरा  मानता , बल्की उन बुराईयो और लोगों द्वारा दी गालियां और आलोचनाओं से सीखकर खुद को ओर निखारता है।और सदैव आगे की ओर बढता रहता है।क्योकि हर कार्य क्षेत्र मै चाहने वालों कै साथ - साथ आलोचक मिलना भी सत्य है, जिसे बदला नही जा सकता और ना ही उसे बदलने का प्रयास करना चाहिए । इसीलिए अपने आपको निखारने और संवारने के साथ साथ जनहित के ऊपर कार्य करे और निरंतर उन आलोचको को भी दिल से धन्यवाद करे, जिनके कारण आप अपने अन्दर वो बदलाव ला सकें। और जिससे आप बेहतर से बेहतरीन बन पाये। बिहार पुलिस एसोंसीएशन के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने पर महसूस किया कि हम अपने सदस्यों के सामूहिक हित के लिए प्रयास किए और यदि प्रयास सफल नही हो पाया तो आलोचना की झड़ी लग जाती है और आपके प्रयास की समीक्षा नही होता। किसी इंसान के आप कई काम कर दे , लेकिन एक काम आप नही कर पाए तो वो व्यक्ति भी आपका आलोचक बन सकता है ।आलोचक का होना जीवन में उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उन लोगो का जो आपके लिए तालियां बजाते हैं।आलोचना कभी कभी काफ़ी पीड़ा दायक होती है । पीठ पीछे आलोचना आज के वक़्त काफ़ी सुनने को मिलती है।दोस्तों बुराई को बुराई से ना तो खत्म किया जा सकता है, और ना ही मिटाया जा सकता है,और ना ही उससे किसी के जीवन में आप बदलाव ला सकते हो, ये शब्द नहीं है, मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।गंदगी से गंदगी साफ़ नही होता परंतु हीरा से हीरा को काटा जा सकता है।मेरे दोस्तों आपका जीवन अमूल्य है, इसको इतना खूबसूरत बनाओं ताकि सभी इसमें खुद को महसूस कर सके और आपका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकें।दोस्तों, ये एक सच है कि ज्यादातर लोग आलोचना सुनना पसंद नहीं करते लेकिन ये भी सच है कि बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो आलोचना को दूसरों से बेहतर तरीके से हैंडल करते हैं। फिर चाहे आलोचना दोस्तों, या परिवार के सदस्यों ने की हो… वे इसे पर्सनल अटैक मानने के बजाय अपनी गलतिया सुधारने और सीखने का एक मौका मानते हैं और अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाते हैं।कभी कभी हमें लगता हैं की हम जो भी कर रहे हैं वह बेस्ट है। हम अपने नज़रिए से ही चीजो देखने की कोशिश करते हैं।आलोचना से हमारा नजरिया बदल जाता है, और हम वो चीजें भी देख पाते हैं जिनके बारे में हमने सोचा भी नहीं था।शायद आपको जानकार आश्चर्य होगा कि द वॉल्ट आलोचना के कारण ही काफ़ी सफल व्यक्ति बने। डिज्नी कंपनी के निर्माता वाल्ट डिज्नी एक साधारण व्यक्ति के रूप में काम करते थे। उन्हें भी अपने जीवन में बहुत से उताव चढाव देखने पड़े। उनको एक समाचार पत्र के संपादक ने उन्हें यह कह कर निकाल दिया था कि उनके पास अच्छे आइडिया और कल्पनाओ का अभाव है। अपनी इस आलोचना से वाल्ट घबराए नहीं, बल्कि खुद में इतना सुधार किया कि आगे चलकर वाल्ट डिज्नी कम्पनी के संस्थापक बनें और हजारो अरब रूपए  का साम्राज्य खड़ा कर दिया।यदि हर समय लोग आपकी हाँ में हाँ मिलाते जाएं तो आपके अन्दर अभिमान आ सकता है।लेकिन अगर आप अपनी आलोचना सुनना जानते हैं तो आप कभी भी हवा में नहीं उड़ पायेंगे। आप जान पायेंगे कि आप से भी गलतियाँ हो सकती हैं और आप पर्फ़ेक्ट नहीं हैं।हर इंसान से यह कहूँगा कि- प्रशंसा से पिघलना मत, आलोचना से उबलना मत, निस्वार्थ भाव से कर्म करिए, क्योंकि इस "धरा" का, इस "धरा" पर, सब "धरा" रह जाऐगा। किसी ने सच ही कहा है- लोगों के साथ आमतौर पर समस्या यही होती है, कि वे झूठी प्रशंसा के द्वारा बर्बाद हो जाना तो पसंद करते हैं, परन्तु वास्तविक आलोचना द्वारा संभल जाना नहीं।“ प्रत्येक व्यक्ति द्धारा की गई निंदा सुन लीजिए, पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लीजिए”।परंतु हमेशा सजकता के साथ जीवन में अपनो के बीच छुपे “कुछ “ आलोचक से सतर्क और सावधान रहे ।वे आपके हर अच्छाई में बुराई को खोज कर आपको समाजिक रूप से कमज़ोर करने का प्रयासरत रहते है।आपके जीवन में ख़ुशीरूपी कोहिनूर को छिनना चाहते है। अपने ख़िलाफ आलोचना मैं अक्सर खामोशी से सुनता हूँ।जवाब देने का हक, मैने वक्त को दे रखा है।आलोचना मे छिपा हुआ "सत्य" "और" प्रशंसा में छिपा झूठ यदि मनुष्य समझ जाये तो आधी समस्याओं का समाधान अपने आप हो जायेगा।आलोचकों से कहना चाहूँगा कि :- “ इन्सान के जिस्म का सबसे खुबसूरत हिस्सा दिल है,और अगर वो ही साफ़ ना हो तो आपका चमकता चहेरा किसी काम का नहीं है।जिसमें हिम्मत है वही मौसम के सितम सहता है पत्ते गिरते रहते है मगर पेड़ खड़ा रहता है “।