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शाहीनबाग आंदोलनों को दें विराम, अमन समिति ने प्रदर्शनकारियों से किया आग्रह


पटना (14 मार्च 2020) : देशभर में कोरोना वायरस को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। तरह-तरह के एहतियात बरतने की नसीहतें दी जा रही हैं। दिल्ली सरकार के बाद अब यूपी-बिहार सहित कई अन्य राज्य सरकारों ने भी स्कूलों-कॉलेजों सहित अधिकतर सार्वजनिक स्थलों को दो हफ्ते के लिए बंद कर दिया है।

इसी क्रम में अमन समिति ने शाहीनबाग के आंदोलनकारियों से तत्काल के लिए आंदोलन को विराम देने का आग्रह किया है। समिति ने सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों से भी आग्रह किया है कि वे देशभर के सैकड़ों शाहीन बागों के आंदोलनकारियों को भरोसा दिलाएं एवं तत्काल के लिए आंदोलन को विराम देने के लिए आंदोलनकारियों को राजी करें ताकि कोरोना वायरस से संयुक्त रूप से निबटा जा सके।

अमन समिति के संयोजक धनंजय कुमार सिन्हा ने एक पत्र जारी कर यह अपील की।

पढ़ें वह पूरा पत्र :

अमन समिति देश भर के सैकड़ों शाहीनबाग के आंदोलनकारियों से आग्रह करती है कि कोरोना वायरस के सम्भावित कुप्रभाव के मद्देनजर वे तत्काल के लिए अपने आन्दोलन को एक विराम दे दें।

पिछले दो महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे इस आन्दोलन के उतार-चढ़ाव को देखते हुए अमन समिति ने यह महसूस किया कि जब किसी समय (सप्ताह) सरकार NRC-NPR-CAA इन तीनों मुद्दों को लेकर ज्यादा आक्रामक हुई, तब अधिकतर देशवासी इनके खिलाफ मुखर हो गए, और तब सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए।

साधारणतः ऐसा दिखता है कि इस आन्दोलन में ज्यादातर मुस्लिम वर्ग के लोग शामिल हैं। कुछ मायनों में यह बात सही है क्योंकि जो लोग शुरू से लेकर अब तक लगातार आन्दोलन-स्थलों पर बने हुए हैं, उनमें ज्यादातर मुस्लिम वर्ग के लोग हैं। किन्तु शुरूआत के दिनों जब केन्द्र सरकार NRC-CAA मुद्दों पर पूरी तरह से आक्रामक थी, तब इसके खिलाफ सड़कों पर हो रहे प्रदर्शनों में मुस्लिमों से ज्यादा हिन्दुओं की संख्या थी। केंद्र सरकार को आम जनता के ऐसे रूख का आकलन नहीं था। इसके बाद प्रधानमंत्री सामने आकर NRC की बात से पूरी तरह पलट गए।

इस प्रकरण की चर्चा का उद्देश्य आंदोलन में लगातार शामिल मुस्लिम वर्ग के साथियों को यह बताना है कि वे देश की आम जनता पर भरोसा रखें, वे देश के अधिकांश हिन्दुओं पर भरोसा रखें, वे देश के अधिकांश सिक्ख एवं ईसाइयों पर भरोसा रखें। जब भी इस देश में किसी एक धर्म विशेष के लोगों के साथ अन्याय होगा, तब अन्य धर्मों के अधिकांशतः लोग पीड़ितों के साथ खड़े हो जायेंगे।

दिल्ली में प्रायोजित दंगे हुए। अगर 10 गुटों में शामिल 100 लोगों के द्वारा मार-काट की स्थितियां पैदा की गईं, तो उसी समय 1000 गुटों द्वारा 10000 हिंदू, मुस्लिम एवं सिक्ख अपने-अपने इलाके-मुहल्ले में अन्य धर्म के लोगों की रक्षा के लिए रात-रात भर तैनात थे। इस बात के माध्यम से अमन समिति यह कहना चाहती है कि देश में इंसानियत में भरोसा रखने वालों की संख्या हैवानियत में भरोसा रखने वालों से कई-कई गुना अधिक है।

अमन समिति आंदोलनकारियों से यह कहना चाहती है कि वे सत्ता पक्ष एवं विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर भरोसा रखें या न रखें, पर वे देशवासियों पर भरोसा रखें, उन देशवासियों पर भरोसा रखें जिनके सड़कों पर उतरने के बाद प्रधानमंत्री जी ने NRC पर यू-टर्न ले लिया।

अमन समिति समस्त देशवासियों के उसी जज्बे के भरोसे आंदोलनकारियों से यह कहना चाहती है कि NPR, NRC एवं CAA की आड़ में छुपे नकारात्मक उद्देश्यों को साधने में न ही कोई सरकार सफल हो पायेगी, और न ही कोई पार्टी या संगठन।

इन भरोसों के साथ अमन समिति देशभर में चल रहे सैकड़ों शाहीनबाग के आंदोलनकारियों से तत्काल के लिए इस आन्दोलन को एक विराम देने का आग्रह करती है ताकि कोरोना वायरस जैसी महामारी का मुकाबला ज्यादा-से-ज्यादा सहजतापूर्वक किया जा सके।

उसके बाद जब पुनः आवश्यकता महसूस की जायेगी, NRC, NPR एवं CAA के खिलाफ आंदोलन को पुनः शुरू कर दिया जायेगा। आन्दोलन प्रजातंत्र की धड़कन है। इस देश का इतिहास आंदोलनों से भरा पड़ा है। अन्याय जब सिर उठायेगा, आंदोलन पुनः शुरू किया जायेगा।

इस मौके पर अमन समिति केंद्र सरकार से भी यह आग्रह करना चाहती है कि वह NRC, NPR एवं CAA के विवादास्पद बिंदुओं को नियमावली से बाहर कर ले। इसके लिए एक सर्वदलीय कमिटी बनाकर सहमति से आवश्यक संशोधन कर ले। अन्य भी कई विकल्प सरकार के पास उपलब्ध हैं जिससे ये मामले संवाद के माध्यम से सुलझ सकते हैं। सरकार को अड़ियल रवैया बदलकर विकल्पों को खोलना चाहिए।

अमन समिति विपक्षी पार्टियों एवं NRC-NPR-CAA के विरोध में संघर्ष कर रहे अनेकानेक सक्रिय संगठनों से भी निवेदनपूर्वक यह कहना चाहती है कि वे कोरोना महामारी के मद्देनजर सैकड़ों शाहीनबाग के आंदोलनकारियों को तत्काल के लिए आंदोलन को एक विराम देने के लिए कहें, एवं उन्हें भरोसा दिलाएं कि इस वायरस से निबटने के बाद पुनः आंदोलनकारियों के हक एवं न्याय के लिए संघर्ष किया जायेगा।

अमन समिति आंदोलनकारियों से यह कहना चाहती है कि यह भारत है, जर्मनी नहीं। गांधी के देश में हिटलर की कहानी कभी भी दोहराई नहीं जा सकेगी।

आंदोलनकारियों को ज्ञात हो कि बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव के पूर्व पटना में कुछ साथियों ने मिलकर प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण जी एवं जेएनयू के क्रांतिकारी शिक्षाविद प्रो आनन्द कुमार जी से प्रेरित होकर अमन समिति का गठन किया था। बाद में इसकी गतिविधियां थोड़ी सुस्त हो गईं। पुनः इसकी गतिविधियों को तेज करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

अमन समिति यह बताना चाहती है कि अपनी सीमित क्षमताओं में ही सही, पर NRC, NPR एवं CAA के मुद्दे पर अमन समिति पूरी तरह से आंदोलनकारियों के साथ है।



निवेदक :

धनंजय कुमार सिन्हा
संयोजक, अमन समिति
मो. 8825172718

एवं

कुमैल आलम
दीपक पटेल
ताबिश इकबाल
विनोद कुमार दास
दानिश मल्लिक
(सभी कार्यकारिणी सदस्य है)