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बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

अस्थमा के लिए इनहेलर्स हैं सही : डॉ. सुधीर कुमार

पटना (अनुप नारायण) : बेरोक जिंदगी अभियान के दूसरे चैप्टर ने बुधवार को मल्टी मीडिया जागरूकता अभियान अस्थमा के लिए इनहेलर्स हैं सही को लॉन्च किया। यह नया अभियान अस्थमा के विषय में जागरूकता और शिक्षा पर फोकस करता है।साथ ही इसमें इन्हेलर्स के साथ चिकित्सा और मरीज को लगातार इस बात के लिए प्रेरणा भी दी जाती है कि वह अवरोध रहित जीवन जीये। इस अभियान का उद्देश्य इनहेलेशन थेरेपी के कलंक को मिटाना है और मुख्य मुद्दों तथा थेरेपी से जुड़े मिथकों के विषय में बताते हुए इसे अधिक सामाजिक स्वीकृति दिलाना है। इससे अभिभावकों और फिजिशियन के बीच अधिक संवाद करने में मदद मिलेगी और मुख्य रूप से यह बताया जाएगा कि इनहेलर्स बच्चों के लिए उपयुक्त हैं। सभी स्तरों की गंभीरता के लिए इनहेलर्स एडिक्टिव नहीं हैं एवं ओरल सोल्यूशन्स की तुलना में इससे अच्छे परिणाम मिलते हैं।
डॉ. सुधीर कुमार, डीएम पल्मोनोलॉजिस्ट और संस्थापक, रामकृष्ण चेस्ट सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने कहा, इनहेलर्स बहुत महत्वपूर्ण है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 16 % माइल्ड अस्थमा मरीजों को जान का खतरा है। 30-37% वयस्क अस्थमा के मरीज गंभीर अस्थमा के शिकार हैं। जिन्हें मामूली अस्थमा था और अस्थमा के कारण जिन 15-20% मरीजों की मौत हुई उन्हें माइल्ड अस्थमा था। यह अपने आप में एक गंभीर विषय है जिसको अनदेखा नहीं किया जा सकता। तमाम शोधों में यह बात सामने आई है कि बच्चे और वयस्क, माइल्ड अस्थमा को लेकर नियमित इलाज नहीं कराते। असल जिंदगी में नियमित चिकित्सा का पालन करने का यह प्रतिशत मात्र 30% है। इसलिए वास्तविक जीवन में देखें तो अधिकांश मरीज किसी प्रकार से इनहेलर का उपयोग तभी करते हैं जब उसकी आवश्यकता होती है।  
इस अवसर पर डॉ. मनीष कुमार, सहायक प्रोफेसर, बाल रोग विशेषज्ञ (इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पटना)  ने कहा, लोगों को यह तथ्य नहीं छिपाना चाहिए कि उन्हें अस्थमा है और यह बहुत जरूरी है जितना जल्दी हो सके इसका सही दवाओं जैसे इनहेलेशन थेरेपी से इलाज किया जाए। समय से पहचान करना और सही उपचार को साधारण लाइफस्टाइल में बदलाव लाते हुए अस्थमा को मैनेज करने में अच्छी मदद मिलती है। अस्थमा को जल्दी पहचान कर और सही उपचार योजना तैयार करके उस पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। 

Edited by : Aprajita

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