गंगा युगों युगों से धरती के पाप धो रही है। यह हमारे राष्ट्र की अमूल्य पहचान है। गंगा की अविरलता को परिभाषित करते हुए गिद्धौर की छोटी सी बच्ची शुभांगना गौरव ने अपनी कविता में इसका बखान किया है।
भारत की अभिमान गंगा
भारत की पवित्र गंगा
नव भारत की पहचान है,
शांति - समृद्धि का मानचित्र
इस पर सदा विद्यमान है।।
प्रेम की अविरल धारा पर
हम सबका अभिमान है
हर लहरें हैं कहती इसकी
यह भारत की शान है।।
भारतीय संस्कृति अब भी
इस धरा पर पग-पग विराजमान है,
नव-ओ-नव जीवन का आधार,
बनी यह हमारी पहचान है।।
गंगा भारत की
युगों-युगों से शान है,
इस बात का मुझको
गहन अभिमान है।।
अति अभिमान है।।
Edited by : Aprajita