पटना (अनूप नारायण) : आज आपको एक ऐसे चिकित्सक से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने बाल विकलांगता पर शोध करने के बाद देश के अन्य प्रांत और विदेशों में नौकरी करने की अपेक्षा बिहार को अपने कार्यक्षेत्र ही नहीं बनाया बल्कि लोगों के दिलों में भी जगह बनाई है. पैसा कमाना इस चिकित्सक का ध्येय नहीं, इस चिकित्सक का ध्येय बिहार से बाल विकलांगता को मिटाना है. चिकित्सक को धरती का भगवान कहा जाता है पर आज के आर्थिक युग में चिकित्सा पेशा भी पूरी तरह से बाजारवाद के चपेट में आ गया है. ऐसे दौर में बिहार के सिवान जिले के दरौंदा के एक किसान परिवार से आने वाले युवा चिकित्सक डॉ सुनीत रंजन ने करोड़ों का पैकेज छोड़ बिहार की राजधानी पटना को अपना कार्यक्षेत्र बनाया. श्री सुरेश सिंह और श्रीमती कृष्णा देवी के घर पुत्र रत्न के रूप में जन्मे डॉ सुनीत रंजन सिवान जिले के दरौंदा थाना अंतर्गत धनौती गांव के रहने वाले हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा दरौदा तथा बाद की शिक्षा कॉलेज ऑफ कॉमर्स पटना में हुई उसके बाद इन्होंने मैसूर से एमबीबीएस, एम एस अर्थो गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज पटियाला से, फैलोशिप मैक्स सुपर हॉस्पिटल नई दिल्ली से, कंजनाइटल स्पेशलिटी अनु हॉस्पिटल विजयवाडा से किया तत्पश्चात असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पद्मावती मेडिकल कॉलेज तिरुपति से जुड़े 1 मार्च 1980 को जन्मे डॉ सुनीत रंजन वर्ष 2012 में डॉ.अनुभूति सिंह के साथ परिणय सूत्र में बंध गए.
बातचीत में उन्होने बताया कि जन्मजात विकलांगता पर उन्होंने शोध किया है. एशिया का सबसे बड़ा हॉस्पिटल बालाजी हॉस्पिटल है, जहां पर पूरे देश भर के मरीज जाते हैं. बिहार के मरीजों को वहां पर आने-जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था इसी को ध्यान में रखकर 16 जनवरी 2019 को पटना के कंकड़बाग इलाके के मलाही पकड़ी चौक पर मैक्स केयर हॉस्पिटल की स्थापना की. उन्होंने बताया बच्चों की हड्डी संबंधी रोग पर उन्होंने शोध किया है और इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने निजी क्षेत्र में क्रांतिकारी शुरुआत के तौर पर पटना में खुद का हॉस्पिटल खोला है. जहां बेहतर इलाज की व्यवस्था भी न्यूनतम राशि खर्च पर उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि बच्चों में शारीरिक विकलांगता का उपचार संभव है अगर उन्हें सही समय पर इलाज के लिए लाया जाए. उनके हॉस्पिटल में बाल विकलांगता हड्डी रोग संबंधी सभी प्रकार के रोगों का अत्याधुनिक तरीके से इलाज की पूरी व्यवस्था है. गरीब और लाचार मरीजों के लिए इनके यहां विशेष व्यवस्था हैं.
मध्यम वर्गीय परिवार से आने के कारण उन्होंने आम जीवनयापन का पालन किया है. एक चिकित्सक का दायित्व केवल पैसा कमाना ही नहीं समाज सेवा करना भी है और उनके यहां से इसलिए मरीज वापस नहीं जा सकता कि उसके पास पैसा नहीं. वे बताते हैं कि यहां का अनुभव काफी मार्मिक हैं जिनके पास इलाज व दवा का पैसा नहीं होता है तो ये अपने तरफ से उनके इलाज की व्यवस्था करते हैं, उन्हें काफी सुकून मिलता है. डॉ सुनीत रंजन ने बताया कि बिहार में चिकित्सा के क्षेत्र में काफी संभावनाए हैं. यहां के मरीज देशभर में इलाज कराने जाते हैं. अगर उन्हें पटना में ही सस्ता और बेहतर पूरा इलाज उपलब्ध कराया जाए तो काफी सहूलियत होगी, इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने एक अभियान की शुरुआत की है. डॉ सुनीत बिहार के सुदूर गांव में भी मेडिकल कैंप करके लोगों के इलाज के लिए तत्पर रहते हैं.
मध्यम वर्गीय परिवार से आने के कारण उन्होंने आम जीवनयापन का पालन किया है. एक चिकित्सक का दायित्व केवल पैसा कमाना ही नहीं समाज सेवा करना भी है और उनके यहां से इसलिए मरीज वापस नहीं जा सकता कि उसके पास पैसा नहीं. वे बताते हैं कि यहां का अनुभव काफी मार्मिक हैं जिनके पास इलाज व दवा का पैसा नहीं होता है तो ये अपने तरफ से उनके इलाज की व्यवस्था करते हैं, उन्हें काफी सुकून मिलता है. डॉ सुनीत रंजन ने बताया कि बिहार में चिकित्सा के क्षेत्र में काफी संभावनाए हैं. यहां के मरीज देशभर में इलाज कराने जाते हैं. अगर उन्हें पटना में ही सस्ता और बेहतर पूरा इलाज उपलब्ध कराया जाए तो काफी सहूलियत होगी, इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने एक अभियान की शुरुआत की है. डॉ सुनीत बिहार के सुदूर गांव में भी मेडिकल कैंप करके लोगों के इलाज के लिए तत्पर रहते हैं.
Edited by : Aprajita
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