पटना : बात पटना में वाहन चेकिंग की है। आज यानी 27 जनवरी 2020 को दिन में करीब एक बजे एग्जीबिशन रोड चौराहा के पास एक पत्रकार की स्कूटी पकड़ी गई। स्कूटी पर उस समय पत्रकार खुद मौजूद नहीं थे, बल्कि पत्रकार का कोई परिचित स्कूटी चला रहा था। पत्रकार की स्कूटी चलाने वाले चालक की पहली गलती तो यह थी कि उसने रॉन्ग साइड में गाड़ी घुसा दी थी, और दूसरी गलती यह थी कि स्कूटी के पॉल्युशन का कागज फेल हो चुका था।
पुलिस के जिस अधिकारी ने स्कूटी पकड़ी, उसने पहले तो दोनों फाइन मिलाकर कुल ₹10,000 का जुर्माना भरने को कहा। तभी स्कूटी चलाने वाले चालक ने स्कूटी के मालिक पत्रकार से मोबाइल पर संपर्क कर सारी बातें बताया, और संबंधित पुलिस अधिकारी से भी मोबाइल पर बात कराया। पत्रकार ने मोबाइल पर पुलिस अधिकारी से गाड़ी को छोड़ने का आग्रह किया। किंतु बात इससे नहीं बनी।
थोड़ी देर बाद वह पुलिस अधिकारी 5000 जुर्माने देने की बात कहने लगा। इस क्रम में करीब एक घंटे से भी ज्यादा समय बीत गया। अंत में उस पुलिस अधिकारी ने चालक से ₹500 की मांग की। तब चालक ने 500 रूपए का एक नोट पुलिस अधिकारी की तरफ बढ़ाया, तो पुलिस अधिकारी ने चालक से वह नोट बगल के टेबल के ऊपर रखे अख़बार के नीचे रखने को कहा, और फिर बात बन गई। पत्रकार की स्कूटी का वह चालक उस 500 रूपए का बिना कोई रसीद लिए अपना स्कूटी लेकर चलता बना।
पुलिस अधिकारी ने खाकी वर्दी पहन रखी थी, एवं उसके नाम का पहला शब्द और एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी के नाम का पहला शब्द एक ही है।
यह घटना वाहन चेकिंग में ढिलाई, भ्रष्टाचार के साथ-साथ पटना पुलिस की नजर में पत्रकारिता से जुड़े लोगों की अहमियत की भी हकीकत बयान करता है।
पुलिस के जिस अधिकारी ने स्कूटी पकड़ी, उसने पहले तो दोनों फाइन मिलाकर कुल ₹10,000 का जुर्माना भरने को कहा। तभी स्कूटी चलाने वाले चालक ने स्कूटी के मालिक पत्रकार से मोबाइल पर संपर्क कर सारी बातें बताया, और संबंधित पुलिस अधिकारी से भी मोबाइल पर बात कराया। पत्रकार ने मोबाइल पर पुलिस अधिकारी से गाड़ी को छोड़ने का आग्रह किया। किंतु बात इससे नहीं बनी।
थोड़ी देर बाद वह पुलिस अधिकारी 5000 जुर्माने देने की बात कहने लगा। इस क्रम में करीब एक घंटे से भी ज्यादा समय बीत गया। अंत में उस पुलिस अधिकारी ने चालक से ₹500 की मांग की। तब चालक ने 500 रूपए का एक नोट पुलिस अधिकारी की तरफ बढ़ाया, तो पुलिस अधिकारी ने चालक से वह नोट बगल के टेबल के ऊपर रखे अख़बार के नीचे रखने को कहा, और फिर बात बन गई। पत्रकार की स्कूटी का वह चालक उस 500 रूपए का बिना कोई रसीद लिए अपना स्कूटी लेकर चलता बना।
पुलिस अधिकारी ने खाकी वर्दी पहन रखी थी, एवं उसके नाम का पहला शब्द और एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी के नाम का पहला शब्द एक ही है।
यह घटना वाहन चेकिंग में ढिलाई, भ्रष्टाचार के साथ-साथ पटना पुलिस की नजर में पत्रकारिता से जुड़े लोगों की अहमियत की भी हकीकत बयान करता है।