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कांस्टेबल से आईपीएस बना किसान का बेटा


नई दिल्ली : कहते है जब किसी चीज़ को लगन से करो तो सफलता जरूर मिलती है. सफलता किसी जाति, कूल, स्थान या पैसे की मोहताज़ नहीं होती है. इसका जीता जागता उदाहरण विजय सिंह गुर्जर है जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से कांस्टेबल से आईपीएस अधिकारी तक का सफर तय किया। 

आपको बताये कि आईपीएस अफसर विजय सिंह गुर्जर आज के हर युवा के लिए प्रेरणादायक है। क्योकि आज के युवा बहुत जल्दी ही निराश हो जाते है, और ज़िंदगी को बोझ समझने लगते है , और गलत कदम उठा लेते है. ऐसे युवाओं को विजय सिंह गुर्जर से बहुत कुछ सिखने की जरुरत है क्योकि 8 सालों के लम्बी मेहनत के बाद आइपीएस ऑफिसर बने। 

विजय सिंह गुर्जर राजस्थान के छोटे और  पिछड़े गांव के किसान परिवार के घर में पैदा हुए,  पांच भाई- बहनों में विजय तीसरे स्थान पर है. विजय ने संस्कृत विषय में शास्त्री की पढ़ाई अपने पिता के कहने पर की , क्योकि इनके पिता चाहते थे की उनका बेटा सरकार स्कूल का टीचर बने, ताकी आसानी से घर का खर्च उठा सके।  लेकिन विजय की चाह कही और थी, वो आईपीएस ऑफिसर बनना चाहते थे।

पिता का टीचर बनाने की चाह को खुद पर हावी होता देख विजय ने एक दिन घर से भागने का इरादा कर लिया और घर से दिल्ली चल गए।
जंहा उनके दोस्तों द्वारा पुलिस में कांस्टेबल की भर्ती का पता चला. जिसके बाद उन्होनें अपना फॉर्म भरा और कांस्टेबल की तैयारी लगन के साथ की.जिसके बाद उनकी नौकरी पुलिस कांस्टेबल में हो गई। उसके बाद उन्होंने जून 2010 में कांस्टेबल के पद पर दिल्ली पुलिस में ज्वाइन कर लिया.

विजय अपनी ड्यूटी बखूबी ज़िम्मेदारी के साथ निभाते रहे। इसी दौरान विजय ने एक दिन ड्यूटी के दौरान दिल्ली में एक डीसीपी के काम और जिम्मेदारी को देखा तो वे उनकी तरह बनने की सोचने लगे. लेकिन घर की आर्थिक स्थिति को पूरा करने के लिए मन में हिम्मत नहीं थी. एक बार उन्होंने नेट पर इस बारे में टॉपर्स की राय सुनी और उस आधार पर तैयारी करने लगा.

इसी दौरान  तभी एसएससी सीजीएल का भी परीक्षा दिया और उसका रिजल्ट आने के बाद कस्टम अफसर के तौर पर ज्वाइन किया. उसके बाद नौकरी बदलने का सिलसिला जारी रहा  और 2014 में इनकम टैक्स में ज्वाइन किया . उसके बाद 3 बार यूपीएस प्रीलिम्स नहीं कर पाए. और 2016 में मेन्स निकाल लिया, लेकिन इंटरव्यू में बाहर हो गए. उसके बाद 2017 के रिजल्ट में यूपीएससी परीक्षा में उन्हें सफलता मिली और उन्होंने 547वीं रैंक हासिल की और विजय को आईपीएस बन गए।

आईपीएस विजय सिंह गुर्जर की कहानी आज के युवाओं के लिए प्रेरणा देनेवाली है। इनकी कहानी से बहुत से लोगों को सिखने की जरुरत है, संघर्ष की यह कहानी लोगों को प्रेरित  करती है।