【न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-
जमुई जिले के सभी प्रखंडों में वर्षापात का सही आकलन करने के लिए विभागीय आदेश पर 'वर्षा मापी यंत्र' स्थापित किया गया था। अब ये वर्षा मापी यंत्र खुद अपनी उदासीनता की गहराई मापने में असमर्थता जाता रहा है। इसका एक उदाहरण गिद्धौर प्रखण्ड कार्यालय परिसर में ही देखने को मिल सकता है, जहाँ ये यन्त्र झाड़ियों के बीच अपने पुनर्जीवित होने की बाट जोह रहा है। झाड़ियों के बीच दबे होने से ये यंत्र अपनी महत्वता को खो रही है। जिसके कारण आगामी भविष्य में होने वाले बारिश का आंकलन सही तरीके से नहीं हो सकेगा।
विभागीय निर्देशानुसार, वर्षा मापी यंत्र में एकत्रित वर्षा जल इन बात पर निर्भर करती है कि उसे कितने खुले स्थान में रखा गया। वर्षा मापी यंत्र को ढलान या छत पर रखकर समतल जमीन पर रखना चाहिए। यंत्र लगाने के दौरान यह भी ध्यान में रखा जाता है कि वर्षा मापी यंत्र ऐसी भूमि पर न रखा हो जहां हवा का रुख हो और अत्यधिक ढलान पड़ती हो। वहीं आसपास सभी वस्तुओं से उसकी दूरी वस्तु की ऊंचाई के चौगने फासले के बराबर है ताकि अनावृष्टि या अतिवृष्टि की स्थिति में सरकार किसानपरक योजनाओं जैसे सूखे का मुआवजा या अधिक वर्षा होने पर फसल क्षति के मुआवजा का आकलन सटीक रूप से किया जा सके।
वर्षा मापी यंत्र लगने से कृषि कार्यों में भी काफी फायदा होता है। पर गिद्धौर प्रखण्ड कार्यालय परिसर में झाड़ियों के बीच अतिक्रमण के आगोस में जा रहे इस यन्त्र में विभागीय उदासीनता की दास्तां बयान कर रहा है।
इधर, गिद्धौर प्रखण्ड के प्रशिक्षु बीडीओ भारती राज से पूछे जाने पर उन्होंने 'वर्षा मापी यन्त्र' पर से झाड़ियों को हटाकर इसे प्रयोग में आने लायक बनाये जाने की बात कही।
Input - धनन्जय कुमार 'आमोद' / भीम राज
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