सेंट्रल डेस्क [गुड्डू बरनवाल] :
इस बार नवंबर का महीना ठंड के इंतजार में ही गुजर गया। जितनी ठंड पड़नी चाहिए थी उतनी नहीं पड़ी। पूरा महीना तापमान सामान्य से अधिक रहा। इन दिनों अधिकतम पारा 28 डिग्री तक पहुंच गया। वहीं न्यूनतम तापमान 16 डिग्री रहा, जो सामान्य से 8 डिग्री अधिक है। ठंड की यह बेरुखी भविष्य के लिए आशंकित करने लगी है।अमूमन नवंबर के महीने में पूर्व के वर्षों में ठीकठाक ठंड पड़ती रही है। पटना, गया, भागलपुर, लखीसराय और जमुई के तापमान पर ही गौर करें तो अभी यहां न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से चार से पांच डिग्री अधिक है। जबकि इन शहरों में नवंबर में पूर्व में तापमान काफी कम रहा है। पटना में तो 7.7 और गया में 6.6 डिग्री तक पारा गया है। भागलपुर, लखीसराय व जमुई की बात करें तो नवंबर में यहां तापमान क्रमश: 11.1, 5.6 और 7.7 डिग्री तक पहुंचा है।
हालांकि मौसम विभाग तापमान में वृद्धि को सामान्य बात मान रहा है। उसके अनुसार इस बार अक्टूबर महीने के आखिर और नवंबर की शुरुआत में अरब सागर में एक साथ दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन बने और आपस में टकरा गए। इससे क्लाउडी वेदर बना, जिससे तापमान नहीं घटा। इसके अलावा बंगाल के तटवर्ती इलाकों में तूफान बुलबुल के कारण बिहार में बादल छाये रहे, जिसने तापमान को गिरने नहीं दिया। लेकिन तापमान बढ़ने के पीछे पर्यावरणविदों का तर्क अलग है। उनके अनुसार हवा में प्रदूषण लेवल बढ़ने से इस बार नवंबर में अपेक्षित ठंड नहीं पड़ी। जमीन से थोड़ी ऊपर धूलकण की परत बनी हुई है, जो ठंड को रोके हुए है। इसके अलावा हवा भी तेज नहीं चल रही है। अगर हल्की बारिश हो जाए या हवा तेज चले तो धूलकण की परत टूटेगी और ठंड बढ़ेगी।
● 7.7 डिग्री रहा है पटना का रिकॉर्ड
पिछले दस वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो नंवबर के अंतिम सप्ताह में पटना का न्यूनतम तापमान 10 से 13 डिग्री तक रहा है। लेकिन इस वर्ष गुरुवार यानी 28 नवंबर को यहां का न्यूनतम पारा 16.7 डिग्री तक पहुंच गया। यह सामान्य से पांच डिग्री अधिक है। वैसे नवंबर में पटना सबसे ठंडा 1952 में रहा था। 29 नवंबर को यहां का तापमान 7.7 डिग्री तक चला गया था। यह ऑलटाइम रिकॉर्ड है।
नवंबर में पटना कितना ठंडा
कब तापमान
29-11-1952 7.7
25-11-2014 10.0
25-11-2017 10.2
29-11-2012 10.2
22-11-2009 10.3
21-11-2013 11.2
29-11-2011 11.8
30-11-2010 12.0
27-11-2015 13.0
26-11-2016 13.0
26-11-2018 13.0
हवा में धूलकण की मात्रा अधिक होने से तापमान में कमी नहीं हो रही है। हवा में धूलकण की परत बनी हुई है। यह तापमान को घटने नहीं दे रही।