पटना [अनूप नारायण] :
जल प्रलय के शिकार लोगों को अब सबसे ज्यादा जरूरत महामारी से बचाव की है. जिन इलाकों में 5 से 6 फीट पानी लगा हुआ है, वहाँ जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, जानवरों के मरने से उत्पन्न दुर्गंध ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. लोग घर से हटने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं. गाड़ियां डूब कर बर्बाद हो चुकी हैं. नीचे के फ्लोर पर रहने वाले हजारों परिवारों के तिनके-तिनके संचय पर सजाया गया आशियाना तबाह हो चुका है. सरकार आकलन कर रही है.
जल प्रलय के शिकार लोगों को अब सबसे ज्यादा जरूरत महामारी से बचाव की है. जिन इलाकों में 5 से 6 फीट पानी लगा हुआ है, वहाँ जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, जानवरों के मरने से उत्पन्न दुर्गंध ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. लोग घर से हटने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं. गाड़ियां डूब कर बर्बाद हो चुकी हैं. नीचे के फ्लोर पर रहने वाले हजारों परिवारों के तिनके-तिनके संचय पर सजाया गया आशियाना तबाह हो चुका है. सरकार आकलन कर रही है.
जल निकासी की व्यवस्था कर रही हैं पर उनके दुख दर्द को देखने वाला कोई नहीं. आज कई इलाकों में लोगों से सीधा साक्षात्कार किया उनके दर्द को सुनने के बाद आंखों से आंसू निकल गए. किस तरह लोगों ने पेट काट-काट कर आशियाना सजाया था एक झटके में ही सब कुछ बर्बाद हो गया.