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संघ प्रमुख ने भारत को "हिन्दू राष्ट्र" कहा, अमन समिति ने नकारा, कहा भारत "धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र


13 अक्टूबर 2019

भुवनेश्वर / पटना : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बातों-बातों में अपने भाषण में भारत को "हिंदू राष्ट्र" बताया। अमन समिति के संयोजक धनंजय कुमार सिन्हा ने उनकी बातों को नकारते हुए कहा कि भारत एक "धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र" है।

संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि मुसलमान भारत में सबसे ज्यादा सुरक्षित एवं सुखी हैं, और इसकी मूल वजह यह है कि हम हिंदू हैं।

संघ प्रमुख मोहन भागवत 9 दिनों के दौरे पर ओडिशा गए हुए हैं। शनिवार को भुवनेश्वर में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भाव विचार और संस्कृति में विविधता के बावजूद भारत में लोग खुद को एक महसूस करते हैं।

आर एस एस के उद्देश्य के बारे में बोलते हुए भागवत ने यह भी कहा किस संघ किसी के प्रति घृणा का भाव नहीं रखता है। हमें बेहतर समाज बनाने के लिए एक साथ आगे आना चाहिए, जिससे देश में बदलाव आए। संघ का उद्देश्य देश में परिवर्तन के लिए सिर्फ हिंदुओं को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को संगठित करना है।

उन्होंने कहा कि हिंदू सिर्फ किसी धर्म या भाषा या देश का नाम नहीं है या भारत में रहने वाले हर शख्स की संस्कृति है। जब कोई राष्ट्र सही रास्ते से भटकता है तो वह सत्य की तलाश में हमारे पास चला आता है। इसकी वजह यह है कि हमारा हिंदू राष्ट्र है। कुछ लोग अपनी हिंदू पहचान जाहिर करने में शर्म महसूस करते हैं, लेकिन कई इसे गर्व के साथ बताते हैं।

संघ प्रमुख ने यहूदियों के बारे में कहा कि वे मारे मारे फिरते थे, तब भारत में ही उन्हें आश्रय मिला। पारसियों की पूजा एवं मूल धर्म केवल भारत में सुरक्षित है। विश्व में सर्वाधिक सुखी मुसलमान केवल भारत में हैं और इसकी मूल वजह यह है कि हम हिंदू हैं।

जब हमारे संवाददाता ने संघ प्रमुख की बातों की बातों पर अमन समिति के संयोजक धनंजय कुमार सिन्हा की प्रतिक्रिया ली तब श्री सिन्हा ने भी संघ प्रमुख की बातों का समर्थन करते हुए दोहराया कि भारतीय मुसलमान अन्य देशों के मुसलमानों की तुलना में सचमुच में ज्यादा खुश हैं, और उनकी खुशी की मूल वजह भारतीय संविधान है जिसके अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, और भारत के नियम-कानून के अनुसार धर्म के नाम पर किसी के साथ भेद-भाव नहीं किया जा सकता है। धनंजय ने संघ प्रमुख की इस बात को भी दोहराया कि भारत में हिन्दुओं के बहुसंख्यक होने की वजह से भी संविधान में मौजूद धर्मनिरपेक्षता के नियम का सुगमता से अनुपालन किया जा सका, क्योंकि हिंदू धर्म में अन्य धर्मों के प्रति सम्मान करने परम्परा मौजूद रहीं है। हिंदू उदारवादी भी रहे हैं।

किन्तु धनंजय ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत की सर्वधर्म एकता को कुछ झटके लगे हैं, और ये झटके मुख्य रूप से संघ के कारण लगे हैं।

उन्होंने संघ प्रमुख पर आम जनता को दिग्भ्रमित करने का भी आरोप लगाया और कहा कि संघ जब जैसे मर्जी होती हैं, अपनी सुविधा के अनुसार हिंदू धर्म की व्याख्या कर देता है।

धनंजय ने संघ प्रमुख के इस बात को सीधे-सीधे खारिज कर दिया कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र था, है और रहेगा।

धनंजय ने संघ प्रमुख की इस बात को भी सीधे-सीधे खारिज कर दिया कि हिंदू सिर्फ एक संस्कृति का नाम है। उन्होंने कहा कि अब तक उपलब्ध साक्ष्य एवं सूचनाओं के अनुसार हिंदू धर्म धरती पर सबसे पुराना धर्म है। कृष्ण के व्यक्तित्व की तरह ही हिंदू धर्म के अनेक आयाम हैं। इसे केवल मात्र संस्कृति नहीं कहा जा सकता।

संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हिंदू धर्म को भारत के सभी समाज की संस्कृति कहे जाने पर अमन संस्कृति के संयोजक धनंजय ने कहा कि यह सब संघ का केवल मात्र एक प्रयास है कि पहले लोग भारत को किसी तरह किसी भी रूप में हिंदू राष्ट्र कहना शुरू कर दें। धनंजय ने कहा कि ऐसे प्रयासों से संविधान की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता को आघात पहुंचता है।