पटना | अनूप नारायण :
इस बार बिहार की कहानी में बंदूक नही बल्कि किताब है।जो बिहार का इतिहास भी है और असल पहचान भी। सुपर 30 बिहार के उस जज़्बे से आपको रुबरु करायेगी जिसमें प्यार है, हौसला है और आनंद है।आनंद कुमार की पहचान एक सरल बिहारी टीचर के रूप में हैं जो भारत के असल रूप से आपको रुबरु कराती है।हमारे भारत मे ज्यादातर न बिहारी को उतना सम्मान मिला है न किसी भी टीचर को(प्रैक्टिकल रूप में,किताबों में बहुत मिला है)जबकि दोनों के बिना आपका होना अधूरा है।आनंद कुमार उस जीत का नाम है जिसमें एक संदेश है की शिक्षा आपको कहाँ से कहाँ पहुंचा देती है।आनंद कुमार एक यात्रा का नाम है जिसके पढ़ाये बच्चे तंग गलियों और टूटी घरों की दीवारों से निकलकर किसी बड़ी कंपनी के बड़े से Ac ऑफिस में प्रेजेंटेशन दे रहे होते हैं।आनंद कुमार एक ज़िद है जिसने कभी हार न मानने की कसम खा रखी है ।आनंद कुमार उत्सव है जो बिहार के कण कण में बसा है ।जहां हम सिर्फ अपने लिए नही बल्कि सबके लिए सपने देखते हैं।आनंद कुमार एक सेतु है जिसको पार करके आप सरलता से,सहजता से,बिहारीपन से,ज़िद से,मेहनत से मिल लेते है।
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