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Saturday, 13 July 2019

जमुई : विलुप्त होने के कगार पर पहुँचे तालाबों को चिन्हित करना नहीं है आसान

न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-

एक ओर परंपरागत जल स्त्रोत कहे जाने वाले तालाब को बचाने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा कड़ा रुख अख्तियार करते हुए निगरानी विभाग को सभी पुराने सार्वजनिक तालाबों और कुओं की पड़ताल कर,उसे ढूंढ निकालने का निर्देश, कुछ दिन पूर्व दिया जा चुका है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण में भू-गर्भीय जल स्तर बनाए रखने में मददगार पोखर व तालाब का अस्तित्व जिले भर में अब धीरे-धीरे शून्य की ओर बढ़ रहा है। 

तालाबों को सजीव रखने, इसके संरक्षण, एवं जल संचय के प्रति विभाग भी उदासीनता के पटरी पर अपनी गाड़ी दौड़ा रही है। सोते हुए सरकारी तंत्र का आलम यह है कि जमुई समाहरणालय स्थित तालाब आजतक पूर्ण नहीं हुआ है।साथ ही देखा जाय तो जमुई के अधिकांश इलाके में तालाब और कुएँ अपने बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।
हालांकि कुछ दिनों से होने वाली बारिश ने जिले के कुछ अर्धमरे तालाबों में जान फूंक दी है।इसके बावजूद भी जिले भर के कई अन्य क्षेत्रों में तालाबों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
यूं  तो जिले भर में सरकार की योजनाओं के नाम लाखों रुपये खर्च करने में पूरा सिस्टम लगा रहा है;लेकिन आजतक पुराने तालाबों एवं पोखरों को संरक्षित करने की पहल नहीं की गई। लिहाजा,जिलेभर के प्रखंड क्षेत्र में अवस्थित मुख्य तालाब व पोखर अपनी अंतिम सांसे गिन रहे हैं।
इधर, सरकारी स्तर पर तालाबों को बचाने की सुगबुगाहट तो शुरू हुई है लेकिन इससे सीएम नीतीश कुमार का सपना पूरा करने में निगरानी विभाग द्वारा कितनी बड़ी भूमिका निभाई जायेगी  जिलेवासी इस परिणाम की प्रतीक्षा में हैं।

▶️  विभिन्न प्रखंडों के प्रमुख तालाब  --

जमुई     -->  बोधवन तालाब

चकाई    -->  नाबा आहार, चहबच्चा आहार

सोनो     --> जोकटी आहर

झाझा    --> धुआँटोली तालाब

गिद्धौर       --> कंपनी बाग

अलीगंज   -->   मनचलबा पोखर, ठाकुरबाड़ी तालाब

सिकंदरा    -->  शिवनाथी पोखर, महादेव सिमरिया पोखर

खैरा           -->  रानी पोखर

लक्ष्मीपुर    -->  भरला पोखर

बरहट       --->  रेलवे तालाब

--▶️- बुद्धिजीवियों व बुर्जगों का है कहना ---

असंतुलित पर्यवारण एवं घटते जलस्त्रोत पर अपनी चिंता प्रकट करते हुए स्थानीय बुद्धिजीवी, व बुजुर्ग बताते हैं कि एक समय था जब पोखर के चारों ओर घना छायादार पेड़ हुआ करता था। इसकी छांव में लोग बैठा करते थे। इस सुखद क्षण का गवाह जमुई स्वयं बना था, लेकिन यह सब अब अतीत बनकर रह गया है। वर्तमान में जमुई के कुछ चिन्हित तालाब व पोखर के कचरा जोन बन जाने से इसकी सुंदरता पर ग्रहण लग गया है।
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