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मंगलवार, 23 जुलाई 2019

Exclusive : सिक्कों की खनक से दूर जाता बाजार, प्रशासन लाचार

[gidhaur.com | शुभम मिश्र] :-

आजकल सूबे में बहुत जगहों पर  सिक्के नहीं लेने का प्रचलन जोर-शोर से चल रहा है।जिसका खामियाजा ग्राहकों को भुगतना  पड़ रहा है। ग्रामीण इलाके के अलावे शहरी क्षेत्रों में भी यह समस्या देखने को मिल रही है। 

इस बाबत पूछे जाने पर कुछ दुकानदारों ने बोला कि हमारे महाजन भी इसे जल्दी नहीं लेते हैं ; तो हमलोग कैसे लें। कुछ लोगों का कहना है कि महाजनों के अलावे बैंक में भी सिक्का नहीं लिया जाता है। तो कुछ लोगों की मानें तो नोट बंदी के बाद से यह समस्या ज्यादा हो गई है। सरकार के निदेश के बावजूद नियमों की अनदेखी की जा रही है। जबकि समाचार पत्रों द्वारा अक्सर इस समस्या से सूबे की सरकार,वित्त मंत्रालय एवं रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया को समय-समय पर अवगत कराया जाता आ रहा है;फिर भी यह समस्या दिन-ब- दिन बढ़ती जा रही है। समय रहते इस समस्या पर गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया गया तो,बाजार से सिक्के का प्रचलन पूर्णतः समाप्त हो जायेगा।

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक भारत का सर्वोच्च मौद्रिक प्राधिकरण है।यह 2 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक के नोटों को प्रिंट करने के लिए अधिकृत है। एक रुपये का नोट आरबीआई के बजाय वित्त मंत्रालय द्वारा मुद्रित किया जाता है और उस पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।

[ क्या कहता है कानून

■ सिक्का अधिनियम 2011 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी भी सिक्के (यदि सिक्का चलन में है) को लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है।उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आइपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई होगी।मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है।

■ सिक्का अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत रिजर्व बैंक द्वारा जारी सिक्के भुगतान के लिए वैध मुद्रा हैं बशर्ते कि सिक्के को जाली नहीं बनाया गया हो।

■ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 489ए से 489इ के तहत नोट या सिक्के का जाली मुद्रण, जाली नोट या सिक्के चलाना और सही सिक्कों को लेने से मना करना अपराध है।इन धाराओं के तहत किसी विधिक न्यायालय द्वारा आर्थिक जुर्माना, कारावास या दोनों का प्रावधान है।

[ क्या कर सकते हैं आप

■ अगर कोई व्यक्ति वैध सिक्के को लेने से मना करता है तो आप तुरंत उसका वीडियो बनायें और पास के थाने में शिकायत दर्ज कराएँ। पुलिस को उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करनी ही पड़ेगी।

[ अफवाह फ़ैलाने की सजा ]

जो लोग सही सिक्के को भी नकली बताकर अफवाह फैलाते हैं उनके लिए भी सजा का प्रावधान है।अफवाह फैलाने वालों पर आरबीआई के नियम के अलावा आईपीसी की धारा 505 के तहत भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा सकती है।इसमें अधिकतम 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है जबकि सिक्के को गलाना एक अपराध है जिसमें 7 साल की सजा हो सकती है।

[ कौन से सिक्के बंद हो गये हैं ]

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने 30 जून 2011 से बहुत ही कम वैल्यू के सिक्के जैसे 1 पैसे, 2 पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे और 25 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन से वापस लिए गए हैं।इसलिए ये वैध मुद्रा नहीं हैं अतः कोई भी दुकानदार एवं बैंक कर्मी इन्हें लेने से मना कर सकता है।जबकि ध्यातव्य है कि 50 पैसा अभी भी पूरे देश में वैध सिक्का है और दुकानदार और पब्लिक उसको लेने से मना नहीं कर सकते हैं।

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