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अलीगंज : 4300 हेक्टेयर में बिचडा डालने का लक्ष्य अधर में, चिंतित हैं कृषक


अलीगंज (चंद्रशेखर सिंह) :-  तापमान लगातार बढ़ोतरी के कारण किसानों में बेचैनी बढ़ रही है। 18 दिन पहले ही मृगिशरा नक्षत्र समाप्त हो चुका है, और किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण नक्षत्र माना जाने वाला आद्रा नक्षत्र का प्रवेश हो चुका है। लेकिन अब तक पर्याप्त बारिश नहीं हुई है, और किसान अब तक अपने खेतों में धान का बिचडा नही गिरा पाये है। बढ़ते तापमान को देख किसान बिचडा गिराने की हिम्मत भी नही जुटा पा रहे हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार,  अच्छी बारिश के संकेत मिल रहे हैं। किसानों को पानी की बेसब्री से इतजार है। किसान श्री धर्मेन्द्र कुशवाहा,  किसान ब्रहादेव सिंह, बखोरी पासवान आदि बताते हैं कि बारिश नही होने खेत सुखा पड़ा है। किसान कैसे अपने सुखे पड़ी खेत में धान का बिचडा गिरावे। मोरी पारने का मुख्य नक्षत्र आद्रा है। यह नक्षत्र भी आधा पार कर चुकी है। किसान आसमान में टकटकी लगा रखे है। ऐसे तो कहा जाता है कि 'रोहण तवे मोती झरे' यानि रोहण नक्षत्र जितना गर्म होता है।उतना ही ज्यादा बारिश होने की संभावना होती है। धान की पैदावार बढ़ती है, लेकिन मृगिशरा बीत जाने के बाद अब मुसलाधार बारिश होने की जरूरत है। आद्रा नक्षत्र शुरू होते ही बिचडा डालना शुरू हो जाना चाहिए । अगर इस नक्षत्र में भी बारिश नही हुई तो किसानों को चिंता बढ़ जायेगी। खेत को कुछ किसान पंप सेट चलाकर तैयार कर रखें हैं।
तापमान गिरने के बाद ही खेत में डाले धान का बिचडा
बारिश नही होने के बावजूद भी कुछ गांव के किसान पंपसेट चलाकर बिचडा डालने की जुगत में है, लेकिन यह किसानों के लिए फायदेमंद नही होगी। अलीगंज प्रखंड में अभी तापमान का पारा बेहद हाईलेबल पर है। प्रखंड में कुल 4300 हेक्टेयर में धान की खेती किये जाने का लक्ष्य है। इस लिहाज से 4300 हैक्टेयर में धान का बिचडा डाला जाना है, लेकिन अब तक एक भी बिचडा नही गिरा है। सिर्फ धान का ही बिचडा नहीं गिरा है। बल्कि मकके की भी खेती भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रखंड में 150 हैक्टेयर में मकई की खेती की जाती थी लेकिन इस बार एक फिसदी भी नही हो सका। हाइब्रिड बीज पर अब किसानों की उम्मीद टिकी है । किसान आम तौर पर रोहन नक्षत्र में ही बिचडे डाल देते थे लेकिन मानसून की बेरूखी के चलते ऐसा नही हो पाता है। ऐसे में हाइब्रिड धान के बिचडे से ही किसानों को उम्मीद रहती है, जो काफी कम दिनों में तैयार हो जाती है।