प्राचीन काल से ही शिक्षा का एक अलग महत्व रहा है।किसी भी राष्ट्र के लिए शिक्षा के बिना विश्व गुरु बनने की कल्पना महज एक दीवा स्वप्न है। इसका दुरुपयोग का उदाहरण जमुई जिला के गिद्धौर प्रखण्ड अंतर्गत सेवा गाँव में अवस्थित मध्य विद्यालय सह उच्च विद्यालय का है जिसमें बच्चे को केवल पशुवत घेर के रखा जाता है।
ग्रामीणों की माने तो यहां के कुछ शिक्षक एवम् शिक्षिकाएं अक्सर क्लास पीरियड के दौरान अनुपस्थित ही रहते हैं और जो उपस्थित भी रहते हैं उसमे कई मोबाइल फोन तो कुछ चौकड़ी लगा कर गप करते पाए गए हैं।
वहीं दूसरी ओर उच्च विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है और ट्यूशन के रूप में एक मोटी रकम अदा करनी पड़ती है। बतातें चले की मध्य विद्यालय सेवा में कम्प्यूटर कक्ष भी है लेकिन जांच के दौरान पाया गया कि कंप्यूटर केवल विद्यालयों की शोभा बढ़ा रहे हैं और बच्चों को इस संदर्भ में तनिक भी जानकारी नहीं है।
वहीं इस विषय पर स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि अगर बच्चों के भविष्य बनाने वाले शिक्षक ही अध्ययन कार्य में लापरवाही बरतना शुरू कर देंगे तो इन नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य पर ग्रहण लगने में तनिक भी देर न होगी।
ग्रामीणों की माने तो यहां के कुछ शिक्षक एवम् शिक्षिकाएं अक्सर क्लास पीरियड के दौरान अनुपस्थित ही रहते हैं और जो उपस्थित भी रहते हैं उसमे कई मोबाइल फोन तो कुछ चौकड़ी लगा कर गप करते पाए गए हैं।
वहीं दूसरी ओर उच्च विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है और ट्यूशन के रूप में एक मोटी रकम अदा करनी पड़ती है। बतातें चले की मध्य विद्यालय सेवा में कम्प्यूटर कक्ष भी है लेकिन जांच के दौरान पाया गया कि कंप्यूटर केवल विद्यालयों की शोभा बढ़ा रहे हैं और बच्चों को इस संदर्भ में तनिक भी जानकारी नहीं है।
वहीं इस विषय पर स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि अगर बच्चों के भविष्य बनाने वाले शिक्षक ही अध्ययन कार्य में लापरवाही बरतना शुरू कर देंगे तो इन नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य पर ग्रहण लगने में तनिक भी देर न होगी।