[ गिद्धौर | अभिषेक कुमार झा ]
बदलते समय के साथ हमारी सभ्यता-संस्कृति भी बदल रही है, पर बात जब गिद्धौर के ऐतिहासिक धरती पर चंदेल वंश से चले आ रहे धर्म, आस्था और विश्वास की हो तो उक्त पंक्तियाँ बेबुनियाद नजर आती है।
क्योंकि वर्षों से चली आ रही इस परंपरागत चक्र का गिद्धौर वासी काफी नियम-निष्ठा से अनुसरण करते हैं। ये परंपरा और संस्कृति को गिद्धौर निवासियों आज भी कायम रखा है। इस तथ्य की पुष्टि तब हुई जब बुधवार की आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की संध्या गिद्धौर के ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर के प्रांगण में धन, यश, वैभव व स्मृद्धि की देवी मां महालक्ष्मी की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा कर सैंकडों भक्तों व श्रद्धालुओं द्वारा मां की अराधना की गई।
प्रतिमाकार राजकुमार रावत द्वारा प्रतिमा को अंतिम रूप देने के उपरान्त देवघर के पंडितों द्वारा मुर्ती की प्राण-प्रतिष्ठा कर विधिवत पूजा की शुरूआत की गई। जहां प्रत्येक श्रद्धालु स्वतंत्र रूप से मां की भक्ति और अराधना करते नजर आए।