
महिला इसमें दोषी नहीं मानी जाती थी। संबंधित महिला के पति की शिकायत पर ही मामला दर्ज होता था। इसमें एक तरह से असमानता थी। कोर्ट ने इस धारा को ही रद्द कर दिया है। हमने मप्र हाईकोर्ट के एडवोकेट संजय मेहरा से बात कर जाना कि आखिर इसका क्या असर होगा और कोई पति या पत्नी ऐसा करते हैं तो उनके पार्टनर को क्या करना होगा।
तलाक का हो गया बड़ा अधिकार
एडवोकेट मेहरा के मुताबिक, इस बदलाव के बाद अब कोई भी पार्टनर किसी दूसरे के साथ संबंध बनाता है तो दूसरा पार्टनर उससे तलाक ले सकेगा। अब यह तलाक का एक बड़ा आधार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सिविल नेचर का माना है। कोर्ट ने कहा कि यह 150 साल पुराना कानून है। मौजूदा समय में इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई। यदि कोई रिलेशन में है तो उसे तलाक के लिए जाना चाहिए। औरतें भी स्वतंत्र निर्णय ले सकती हैं। अगर किसी की शादीशुदा जिंदगी खराब चल रही है तो वह तलाक ले सकता है।
ऐसे मामलों में रिपोर्ट नहीं की जाती थी

कई हत्याएं भी इसके चलते हुई हैं। अब किसी का कहीं और संबंध है तो वह अपने पार्टनर से तलाक ले सकता है या पार्टनर ऐसा होने पर तलाक दे सकता है।