मनोरंजन (अनूप नारायण) : 1958 में व्ही शांताराम की फिल्म 'नवरंग' के लिए गाए अपने पहले गीत 'आधा है चन्द्रमा रात आधी, रह न जाए तेरी मेरी बात आधी' से अपना फिल्म कैरियर शुरू करने वाले बेहतरीन गायक महेंद्र कपूर ने चार दशकों में हिंदी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में पचीस हज़ार से ज्यादा गीत गाए। उनपर मोहम्मद रफ़ी की नक़ल करने से लेकर नाक से गाने तक के आरोप लगते रहे, मगर कुछ तो ऐसा था उनकी खनकती आवाज़ में जो दशकों तक फिल्म संगीत प्रेमियों के दिलो दिमाग पर छाया रहा। रफ़ी, मुकेश, मन्ना डे, हेमंत कुमार और किशोर कुमार के दौर में भी अपना एक अलग मुक़ाम बनाने वाले इस गायक ने हिंदी सिनेमा को ढेर सारे कालजयी गीत भी दिए जिनके ज़िक्र के बगैर हिंदी फिल्म संगीत का इतिहास नहीं लिखा जा सकेगा। उनके गाए कुछ ऐसे ही गीत हैं - आधा है चन्द्रमा रात आधी, तुम्हारा चाहने वाला खुदा की दुनिया में मेरे सिवा भी कोई और हो खुदा न करे, तुम अगर साथ देने का वादा करो, नीले गगन के तले धरती का प्यार पले, किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है, न मुंह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो, चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों, आप आए तो ख्याले दिले नाशाद आया, और नहीं बस और नहीं ग़म के प्याले और नहीं, भारत का रहने वाला हूं भारत के गीत सुनाता हूं, मेरे देश की धरती सोना उगले, ऐ मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, मेरा प्यार वो है जो मरके भी तुझको जुदा अपनी बाहों से होने न देगा, अगर मुझे न मिले तुम तो मैं ये समझूंगा, ऐ जाने चमन तेरा गोरा बदन जैसे खिलता हुआ गुलाब, लाखों हैं यहां दिलवाले पर प्यार नहीं मिलता, तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं, जिसके सपने हमें रोज़ आते रहे, हम जब सिमट के आपकी बांहों में आ गए, भूल सकता है भला कौन तुम्हारी आंखें, हाथ आया है जबसे तेरा हाथ में, रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलजुग आएगा, चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है।
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