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रविवार, 16 सितंबर 2018

पटना : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शुरू कि नई पारी, JDU में हुए शामिल



[पटना l शुभम् कुमार]
पटना में चल रहे जदयू कि राज्य कार्यकारिणी बैठक में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार कि मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. पार्टी में उनका स्‍वागत करते हुए नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को 'भविष्य' बताया. उनकी राजनीति में एंट्री से बिहार में सियासी हलचल बढ़ गई है. आगामी लोकसभा चुनाव में उनके जदयू टिकट पर चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं.
रविवार को बैठक से पहले श्री किशोर ने ट्विट करते हुए कहा कि कहा था कि वे बिहार से नई यात्रा शुरू करने के लिए काफी उत्साहित हैं.
कौन है प्रशांत किशोर :-
साल 1977 में प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के सासाराम में हुआ था। उनकी मां उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की हैं वहीं पिता बिहार सरकार में डॉक्टर हैं. उनकी पत्नी का नाम जाह्नवी दास है.
राजनीतिक करियर की बात करें तो साल 2014 में मोदी को सत्ता दिलाने में इनका सबसे बड़ा योगदान था जिनके बाद से ये चर्चा में आए थे. उसके बाद से उन्हें एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जाना जाने लगा. हमेशा से वह पर्दे के पीछे रहकर अपनी चुनावी रणनीति को अंजाम देते आए हैं. 34 साल की उम्र में अफ्रीका से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की नौकरी छोड़कर किशोर ने 2011 में गुजरात के तत्कालीन  नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े थे. जिससे राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू हो गया. चुनाव में नेता का ऐसा प्रचार शायद ही किसी दौर में देखा गया था. साल 2014 में किशोर ने सिटिजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) की स्थापना की थी, जिसे भारत की पहली राजनीतिक एक्शन कमिटी माना जाता है. यह एक एनजीओ है जिसमें आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले युवा प्रोफेशनल्स शामिल थे.

किशोर को मोदी की उन्नत मार्केटिंग और विज्ञापन अभियान जैसे कि चाय पे चर्चा, 3डी रैली, रन फॉर यूनिटी, मंथन का श्रेय दिया जाता है. वह इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) नाम का संगठन चलाते हैं जो लीडरशिप, सियासी रणनीति, मैसेज कैंपेन और भाषणों की ब्रांडिंग करता है. 2014 में भाजपा का साथ छोड़ने के बाद प्रशांत किशोर ने 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार- लालू यादव के महागठबंधन का हाथ थामा था.
 बहरहाल अब जो भी हो देखना ये है कि प्रशांत किशोर के जदयू मे शामिल होने के बाद बिहार कि राजनीति में क्या परिवर्तन आता है.

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