[न्यूज डेस्क | भीमराज/अभिषेक]
गिद्धौर प्रखंड के अंतर्गत इलाके में लगभख 15 दिनों से बारिश नहीं हुई है। प्रखंडों में धान की रोपनी काफी विलंब से हुई थी, अब बारिश नहीं होने से किसान परेशान दिख रहे हैं। एक तो सही समय पर फसल के अनुकूल बारिश नहीं हुई जबकि दूसरी ओर खेतों में लगी धान की फसलों में दरारें पड़ने लगी है। वहीं कुछ किसान पंपसेट पटवन कर धान के पौधों को बचाने में लगे हैं जबकि किसानों को डीजल अनुदान की राशि प्राप्त करने के लिए प्रखंडों में चक्कर लगाते- लगाते थक गए हैं। वैसे तो किसानों के खेतों में पटवन करने की व्यवस्था नगण्य के बराबर है। खेतों की सिंचाई भगवान भरोसे ही होती है। इलाके में कुछ आहर पाइन है जो नदियों एवं बारिश की पानी का जलजमाव कर सिंचाई किया जाता है, लेकिन वह अब जीर्ण-शीर्ण रहने के कारण सूखने के कगार पर पहुंच गया है। रतनपुर पंचायत के उलाय वीयर पैईन की हालत भी जर्जर हो चूकी है। इस उलाय वीयर पैईन से रतनपुर पंचायत के बानाडीह, भौराटांड , कैराकादो , रतनपुर गांव सहित अन्य गांवों में एक मात्र फसल सिंचाई का साधन था। वर्तमान में पंचायत के ग्रामीणों के श्रमदान कर पैईन माध्यम से खेतों में तो पानी पहुंचाया जा रहा है, लेकिन इस वर्ष पैईन की हालात सही नहीं रहने के कारण खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
इधर, गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर पंचायत के अलावे मौरा, सेवा, कोल्हुआ, आदि स्थानों का भी यही सूरत-ए-हाल देखा जा रहा है।
किसानों की आय दोगुनी करने की बात करने वाली बिहार सरकार के दावे भी स्थानीय किसानों को फिसड्डी लगने लगा है। ऐसी स्थिति में दिन प्रतिदिन किसानों की स्थिति दयनीय होते जा रही है। आलम यह है कि सरकार के द्वारा किए गये बड़े-बड़े घोषणाएं भी किसानों तक समुचित लाभ पहुँचाने में असमर्थ हैं। रतनपुर जैसे घनी आबादी में भी सबसे लाचार और बेबस किसान ही नजर आते हैं। हलांकि, जनप्रतिनिधि गण किसानों के लिए उलाई बीयर जीर्णोद्धार को आधार बनाकर राजनीतिक रोटियां सेंक ली जाती है लेकिन धरातल पर फिलहाल कुछ नजर नहीं आ रहा।