[मांगोबंदर | शुभम् मिश्र]
खैरा क्षेत्र के मांगोबंदर गांव में सुहागिन महिलाओं ने बुधवार को तीज व्रत के लिए निर्जला उपवास किया। संध्या समय में सुहागिनों द्वारा भगवान शंकर व माता पार्वती का पूजन किया गया। पूजन के दौरान सुहागिनों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र की कामना की गई। वहीं कुंवारी कन्याओं ने मनोवांछित वर की कामना की। तीज व्रत को लेकर महिलाओं को काफी उत्साहित देखा गया। सबसे अधिक उत्साह नवविवाहिता में देखने को मिला,जिन्होंने पहली बार तीज व्रत रखा था। नई नवेली दुल्हन अपने मायके में थी, तो उनके ससुराल से कपड़े,जेवरात,मिठाईयाँ व स्वादिष्ट पकवान आया। सुहागिनों ने सोलह सिंगार कर नये वस्त्र धारण कर डलिया भरा। डलिया को पांच प्रकार के फल,पकवान व सुहाग के समान से सजाकर पूजन किया गया ।
क्या है हरितालिका तीज व्रत त्योहार की महत्ता ?
तीज त्योहार को लेकर खैरा क्षेत्र के जानेमाने पंडित आचार्य उमाशंकर पांडेय ने बताया कि आदि काल में हिमालय राज की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी और कठिन तप के पश्चात माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। तीज त्योहार पर सुहागिन महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अखंड सुहाग और पति के दीर्घायु की कामना को लेकर की जाती है। इस दौरान सुहागिन महिलाओं द्वारा दिन भर उपवास रखने के पश्चात सूर्यास्त से पूर्व नहा-धोकर विधि विधान से डलिया या पीढ़ा भर कर निर्जला रहते हुए भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है।