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मंगलवार, 14 अगस्त 2018

गिद्धौर : महुलीगढ़ के कुमार कालिका सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में निभाई थी अपनी अग्रणी भूमिका

{News Desk | अभिषेक कुमार झा}

हमारे देश की मिट्टी ने एेसे असंख्य वीरों को जन्म दिया जिनके लिए हर सुख से बड़ा सुख वतन की आजादी थी।  इनके कुर्बानियों की बदौलत ही देश आजाद हुआ।
भौगोलिक दृष्टिकोण से उलाइ बीयर नदी के तट पर स्थित गिद्धौर ने भी ऐसे कई वीर सपूतों को जन्म दिया है। इन सपूतों में स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गिद्धौर राज रियासत के सदस्य कुमार कालिका सिंह का नाम भी लिया जाता रहा है।
गिद्धौर के महुलीगढ निवासी कुमार कालिका सिंह उर्फ हीरा जी एक ऐसा नाम जिन्होंने राज घराने का सुख त्याग कर आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और गिद्धौर क्षेत्र का नेतृत्व भी संभाला ।

     भारतीय गण राज्य के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने कुमार कालिका सिंह के बारे में कहा था कि इस सपूत का इतिहास कोई नहीं भूलेगा। किंतु आज लोग इन्हें भुलते चले जा रहे हैं। सरकार और प्रशासन भी उनकी स्वतंत्रता संग्राम में कुमार कालिका सिंह उर्फ हीरा जी के बढ़ते प्रभावशाली कदम को देखकर ही बिहार के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गर्वनर ने गिद्धौर राज के तत्कालीन महाराज बहादुर सह रावणेश्वर सिंह को एक पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि जल्द से जल्द कुमार कालिका प्रसाद सिंह को आजादी के आंदोलन से अलग किया जाए परंतु हीरा जी की इच्छाशक्ति दृढ़ थी। उन्हें कोई भी उस पथ से विचलित नहीं कर सका। अंत में अंग्रेज धारा 107 के तहत कार्रवाई करने हेतु अपना प्रतिवेदन तत्कालीन एसडीओ जमुई को दिया। आजादी के रंग में रंगे कुमार कालिका सिंह के विरुद्ध लगाए गए आरोपों पर जब अदालत में सुनवाई शुरु हुई तो मुंगेर के तत्कालीन जिलाधीश स्टान साहब ने पुन: महाराजा गिद्धौर को पत्र लिखकर आग्रह किया कि अभी भी कुमार कालिका सिंह कोर्ट के समक्ष यह कह दें कि अब उनका आजादी के आंदोलन से कोई संबंध नहीं है तो अदालत उन्हें बरी कर देगी। मगर कालिका सिंह ने 22 अक्टूबर 1921 को अपना बयान न्यायालय के समक्ष ऐसा दिया जिसे ऐतिहासिक माना जाता है। जिसका जिक्र स्वयं महात्मा गांधी ने अपनी पत्रिका यंग इंडिया में किया है।  कुमार कालिका सिंह ने भरी अदालत में अपना बयान दिया था कि स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक के रुप में इस विदेशी न्यायालय का अधिकार नहीं है। परिणाम स्वरुप न्यायालय ने हीरा जी को एक वर्ष की सजा सुना दी।

गिद्धौर व महुलीगढ़ के कुछ बुजुर्गों का कहना है कि गिद्धौर राज परिवार में जन्मे कुमार कालिका सिंह उर्फ हीरा जी, महात्मा गाँधी के सिद्धातों एवं आदोलन से काफी प्रभावित थे।  वे राजसुख का त्याग कर भारत की आजादी की लड़ाई में कूद पडे थे। उनके इस त्याग और समर्पन से प्रेरित होकर  कई युवाओं ने भी उनके इस आंदोलन में अपना अहम योगदान दिया था।

विदित हो गिद्धौर राज घराने से ताल्लुकात रखने वाले कुमार कालिका सिंह उर्फ हीरा जी के द्वारा जलाए गये स्वतंत्रता संग्राम के दीप से आज भी गिद्धौर के पुराने पीढ़ियों में ऊर्जा का संचार होता है।

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