[पटना] ~अनूप नारायण
झारखण्ड के रामगढ़ जिले मे एक मन्दिर ऐसा भी है जहाँ भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई ओर नहीं स्वयं माँ गंगा करती है। मंदिर की खाशियत यह है कि यहाँ जलाभिषेक साल के बारह महीनें और चौबीस घण्टे होता है। यह पूजा सदियों से चली आ रही है। माना जाता है कि इस जगह का उल्लेख पुराणों मे भी मिलता है। भक्तों की आस्था है कि यहाँ पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
अंग्रेजो के जमाने से जुड़ा है यह इतिहास
झारखण्ड के रामगढ़ जिले स्थित इस शिव मन्दिर को लोग टूटी झरना के नाम से जाने जाते है। मंदिर का इतिहास सन् 1925 से जुड़ा हुवा है और माना जाता है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे। पानी के खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अंदर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा। अंग्रेजों इस बात को जानने के लिये पूरी खुदाई करवाये। और अंत मे ये मन्दिर पूरी तरह नजर आया। मन्दिर के अंदर भगवान भोले जी का शिवलिंग मिला और उसके ठीक ऊपर माँ गंगा की सफ़ेद रंग की प्रतिमा मिली। प्रतिमा के नाभि से अपरुपि जल निकलता रहता है जो उनके दोनो हाथों के हथेली से गुजरते हुए शिवलिंग पर गिरता है। मन्दिर के अंदर माँ गंगा की प्रतिमा से स्वयं पानी निकलना अपने आप मे एक कौतुहल का विषय बना है।
माँ गंगा की जल धारा का रहस्य
सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहाँ से आ रही है ।यह बात अभी रहस्य बनी हुयी है।कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई ओर नहीं स्वयं माँ गंगा करती है। यहाँ लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए है। यहाँ लोगों को पानी के लिये हैंडपम्प चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने आप हमेशा पानी निचे गिरता रहता है। वहीं मन्दिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सुखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी मे भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है।
दर्शन के लिये बडी संख्या मे आते हैं श्रद्धालु
लोग बहुत दूर दूर से यहाँ पूजा करने आते हैं और सालभर मन्दिर मे श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।श्रद्धालुओं का मानना है कि टूटी झरना मन्दिर मे जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उनकी मुराद पूरी हो जाती है। भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप मे ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं। इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखो से लड़ने की ताकत मिल जाती है।