[पटना] ~अनूप नारायण
लायंस क्लब ऑफ पाटलिपुत्र आस्था की तरफ से विश्व स्तनपान दिवस के विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन के अवसर पर विटामिन डी व स्तनपान विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें ख्याति प्राप्त चिकित्सक डॉक्टर राणा एस पी सिंह ने लोगों को विटामिन डी व स्तनपान की महत्ता बताई। इस अवसर पर डा राणा एस पी सिंह ने कहा कि उत्तरजीविता संबंधी आंकड़ों से पता चला है कि पहले छह महीनों के दौरान विशेष रूप से स्तनपान तथा 6-11 महीनों तक निरंतर स्तनपान को प्रोत्साहन देना एकमात्र ऐसा उपाय है जो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर को 13-15 प्रतिशत कम करता है। एक अन्य अध्ययन में, यह पता चला है कि यदि सभी शिशुओं को जन्म के पहले दिन से स्तनपान कराया जाए तो 16 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौत को रोका जा सकता है। यदि जन्म के पहले घंटे से ही स्तनपान शुरू कर दिया जाए तो 22 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौत को रोका जा सकता है।
लायंस क्लब ऑफ पाटलिपुत्र आस्था की तरफ से विश्व स्तनपान दिवस के विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन के अवसर पर विटामिन डी व स्तनपान विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें ख्याति प्राप्त चिकित्सक डॉक्टर राणा एस पी सिंह ने लोगों को विटामिन डी व स्तनपान की महत्ता बताई। इस अवसर पर डा राणा एस पी सिंह ने कहा कि उत्तरजीविता संबंधी आंकड़ों से पता चला है कि पहले छह महीनों के दौरान विशेष रूप से स्तनपान तथा 6-11 महीनों तक निरंतर स्तनपान को प्रोत्साहन देना एकमात्र ऐसा उपाय है जो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर को 13-15 प्रतिशत कम करता है। एक अन्य अध्ययन में, यह पता चला है कि यदि सभी शिशुओं को जन्म के पहले दिन से स्तनपान कराया जाए तो 16 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौत को रोका जा सकता है। यदि जन्म के पहले घंटे से ही स्तनपान शुरू कर दिया जाए तो 22 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौत को रोका जा सकता है।
स्तनपान अतिसार और श्वास संबंधी अनेक संक्रमणों से शिशु की सुरक्षा करता है। इसके अतिरिक्त यह उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हृदय रोग जैसी अनेक दीर्घकालिक समस्याओं से भी शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। अनुराग, प्यार और दुलार बढ़ाते हुए यह मां और बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ते को मजबूत करता है! इस प्रकार यह महज आहार ही नहीं बल्कि उससे कहीं बढ़कर है। मां का दूध स्वच्छ और जीवाणुमुक्त होता है। इसमें संक्रमण रोधी कारक होते हैं तथा शिशु के लिए यह हर समय सही तापमान पर उपलब्ध रहता है। इन सब विशेषताओं के साथ यह किफायती और मिलावटरहित है।
मां के दूध में श्वेत रुधिर कणिकाएं (ल्यूकॅसाइट), मैक्रोफेज, और एपिथेलियल कोशिकाएं; लिपिड़ि्स मुक्त वसा अम्ल, फास्फोलाइपिड्स, स्टेरॉल्स, हाइड्रोकार्बन्स और वसा में घुलनशील विटामिन); कार्बोहाइड्रेट्स (दुग्ध शर्करा, गैलेक्टोस, ग्लूकोस, प्रोटीन जैसे SlgA, लाइसोज़ाइम्स, एन्ज़ाइम्स, हार्मोन्स और वृध्दिकारक) होते हैं जो शिशु के वर्धन और विकास को बढ़ावा देते हैं।
स्तनपान कराने से मां को भी स्वास्थ्य संबंधी अनेक फ़ायदे होते हैं। ऐसा करने से प्रसव के बाद रक्तस्राव में कमी होती है जिसके फ़लस्वरूप अरक्तता (अनीमिया) में कमी होती है। स्तनपान कराने वाली माताओं में मोटापा भी कम देखा जाता है क्योंकि स्तनपान से मां को फिर से अपना सामान्य आकार पाने में मदद मिलती है। यह छाती और अण्डाशयी कैंसर से भी संरक्षा प्रदान करता है। स्तनपान कराने के गर्भनिरोधक प्रभाव भी होते हैं। जहां तक शिशु के पालन-पोषण और उसके साथ व्यावहारिक तालमेल बिठाने की बात है, तो जो माताएं स्तनपान कराती हैं, वे अपने शिशुओं के साथ बेहतर तालमेल बिठा लेती हैं। स्तनपान समाज के लिए भी फ़ायदेमंद है क्योंकि यह बच्चों में बीमारी को कम करके स्वास्थ्य संबंधी देखेरेख की लागत में कमी करता है और इस प्रकार परिवार पर वित्तीय तनाव को कम करता है।
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