मुजफ्फरपुर कांड : समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक समेत 6 ऑफिसर सस्पेंड

[पटना]    ~अनूप नारायण : मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म मामले में समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा समेत 6 अधिकारी निलंबित कर दिए गए। सभी अधिकारियों पर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) की ऑडिट रिपोर्ट पर कार्रवाई में देरी का आरोप है। विभाग के निदेशक राजकुमार के आदेश पर ये कार्रवाई हुई। दिवेश कुमार के अलावा विभाग के 5 जिलों के असिस्टेंट डायरेक्टर को भी सस्पेंड किया गया है। इनमें मुंगेर की सीमा कुमारी, अररिया के घनश्याम रविदास, मधुबनी के कुमार सत्यकाम, भागलपुर की गीतांजलि प्रसाद और भोजपुर के तत्कालीन एडीसीसी आलोक रंजन हैं। बता दें कि दिवेश कुमार ने ही बालिका गृह दुष्कर्म मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण मामले में 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का कोई भी वीडियो फुटेज मीडिया में नहीं चलाया जाए। महिला व बाल विकास मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया गया और मामले की पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया गया है। वकील अपर्णा भट्ट को इस मामले की मॉनिटरिंग के आदेश दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ये मामला बहुत ही गंभीर है और इसकी पारदर्शी जांच होनी चाहिए। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए।

नीतीश ने कहा- हाईकोर्ट की निगरानी में हो जांच
पिछले दिनों एक कार्यक्रम में मुजफ्फरपुर कांड पर चु्प्पी तोड़ते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि मामले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में हो। विपक्ष कई दिनों से इस मामले की जांच हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने की मांग कर रहा था। सीएम ने कहा था कि समाज में ऐसी कोई घटना घटती है तो हम चुप नहीं रहेंगे। दोषियों को सजा दिलवाकर ही मानेंगे। इस घटना से मुझे बहुत आत्मग्लानी हुई है।

तेजस्वी ने कहा-बिहार में जंगल राज नहीं, राक्षस राज
शनिवार को राजद ने मुजफ्फरपुर कांड के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। विपक्ष के 18 दलों के नेता इस धरने में पहुंचे थे। इस दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में जंगल राज नहीं राक्षस राज है। वहां रावण सीता माता का अपरहण कर रहा है। दुर्योधन द्रोपदी का चीर हरण कर रहा है। उन्होंने कहा कि बालिका गृह में सरकार के नाक के नीचे सब हो रहा था। बालिका गृह में उन बच्चियों को रखा जाता है, जिसका कोई नहीं। हमारी सात बहनें हैं, मां हैं, बहनों की बच्चियां हैं। अगर उनके साथ कुछ होता है तो हम मौजूद हैं, लेकिन जो बेसहारा हैं उनकी रक्षा कौन करेगा? आज पूरा बिहार और पूरा देश उन बेसहारा बच्चियों के लिए न्याय मांग रहा है।

क्या है मामला ?
मुंबई की टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की 'कोशिश' टीम की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया था कि बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों के साथ दुष्कर्म हुआ है। 100 पेज की सोशल ऑडिट रिपोर्ट को टीम ने 26 मई को बिहार सरकार और जिला प्रशासन को भेजा। इसके बाद बालिका गृह से 44 किशोरियों को 31 मई को मुक्त कराया गया। इनको पटना, मोकामा और मधुबनी के बालिका गृह में भेजा गया। जांच रिपोर्ट में 34 बच्चियों के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई। बालिका गृह का संचालन कर रही एनजीओ के लोग बच्चियों के साथ रेप करते थे। इस कांड में नेताओं की भागीदारी की बात भी सामने आई थी। मामले में ब्रजेश ठाकुर, बालिका गृह की अधीक्षिका इंदू कुमारी समेत 9 लोगों को जेल भेजा जा चुका है।

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