जमुई/विशेष (सुशांत सिन्हा) : लोकसभा चुनाव में अब बमुश्किल साल भर का समय भी नहीं बचा है। ऐसे में सियासी खेमे में अंदर ही अंदर कई प्रकार के दांव-पेंच सामने आ रहे हैं। अब भीतरखाने से एक बड़ी खबर सामने आई है कि जमुई लोकसभा (सुरक्षित) सीट पर महागठबंधन की ओर से बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी उम्मीदवार हो सकते हैं।
हालांकि गिद्धौर डॉट कॉम इस खबर की किसी भी तरह से पुष्टि नहीं करता है। सूबे के सीटों को लेकर मची आपसी खींचतान एनडीए और महागठबंधन दोनों में देखी जा रही है। ऐसे में महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में उदय नारायण चौधरी का नाम सामने आना काफी दिलचस्प है। कभी नीतीश कुमार के विश्वासपात्र माने जाने वाले उदय नारायण वर्ष 2014 में जमुई लोकसभा की सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के हाथों उन्हें करारी शिकस्त मिली थी। चुनाव के दौरान ही उदय नारायण पर नक्सलियों से सांठ-गांठ रखने का आरोप भी लगा था।
2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की बुनियाद बनाकर भाजपा के विजय रथ को रोकने वाले जदयू अध्यक्ष व बिहार के सीएम नीतीश कुमार अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने फिर से एनडीए का दामन थाम लिया है और पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी अच्छी बन रही है। लेकिन उनके करीबी उदय नारायण चौधरी उन्हें अलविदा कहकर महागठबंधन में अभी भी शामिल हैं। वो फ़िलहाल जदयू से बागी हुए लोक जनता दल के नेता शरद यादव के करीब बताये जा रहे हैं।
अपुष्ट सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि राजद अपनी टिकट पर उन्हें जमुई से चुनावी रणक्षेत्र में उतारने पर विचार कर सकता है। चूँकि उदय नारायण 2014 का लोस चुनाव यहाँ से लड़ चुके हैं तो उन्हें यहाँ कि भौगोलिक स्थिति का भी बेहतर अनुभव हो चुका है। पिछले चुनाव में वो तीसरे नम्बर पर रहे थे। महागठबंधन में शामिल दल जमुई लोकसभा क्षेत्र में अपने-अपने वोट बैंक को किस हद तक उनकी ओर मोड़ पाने में सफल होंगे यह देखने वाली बात होगी। बहरहाल उदय नारायण को अपने पक्ष में माहौल बनाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इस मामले में वो काफी निपुण हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव का परिणाम क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन दलित नेता और महागठबंधन के वोट बैंक के बदौलत उदय नारायण अपनी छाप जरूर छोड़ जायेंगे।
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