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बांका : खुद ही प्यासा है धोरैया के अटपहरा में 54 लाख से बना जलमिनार

[Gidhaur.com | धोरैया / बांका ] :-  नीर निर्मल परियोजना से बांका जिला के धोरैया प्रखंड के काठबनगांव  पंचायत अंतर्गत अटपहरा गांव में 54 लाख की लागत से जलमीनार का निर्माण विश्व बैंक की सहायता से किया गया है। जलमीनार एक साल पूर्व बन कर तैयार हो गया। 300 घरों का रसीद कटने के बावजूद महज 65 घरों में ही हाउस कनेक्शन किया गया है। इतना ही नहीं जलमीनार के मोटर कनेक्शन में लगा महज 2000 का एमसीबी पिछले पांच माह से खराब है। इस कारण इन घरों में पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है। लिहाजा गांव के लोग सुबह होते ही एक चापाकल पर रात दिन नंबर लगाये खड़े रहते हैं। अगर सुबह उठने में थोड़ी विलंब हो गई तो इस गांव के लोग पीने के पानी के लिये तरस जाते हैं। इस जलमीनार का निर्माण संजय कुमार गोह, औरंगाबाद के एजेंसी द्वारा किया गया था। निर्माण कार्य एक साल के अंदर पूरा कर लिया गया था। 

[मात्र एक चापाकल बुझा रहा है दो हजार लोगों का प्यास]

इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेगें, कि सरकार ने गांववासियाें की प्यास बुझाने के लिए 54 लाख रुपये खर्च कर दिये, लेकिन उनके कुछ अधिकारियों के नाकामी की वजह से ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए एक मात्र चापानल पर निर्भर होना पड़ रहा है। गांव की ऐसी स्थिति हो गयी है कि गांव वासी अगर सुबह जगने में थाेड़ी सी देर कर दें, तो उन्हें पानी के लिए घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ जाता है।
यहां सरकार ने नीर निर्मल ग्राम परियाेजना के तहत 54 लाख रुपये खर्च कर जल मिनार तो बनवा दिया है, लेकिन पीएचईडी के अधिकारियों की नाकामी की वजह से ये जलमिनार बस शोभा की वस्तु मात्र बनकर रह गया है। जिससे पानी सप्लाई नहीं होने की वजह से पूरे गांव के लाेग गांव में लगे मात्र एक सरकारी चापानल के सहारे प्यास बुझाने को मजबूर हो रहे हैं। 

[सुबह 4 से रात 10 बजे तक चापानल पर लगी रहती है लाइन]

विश्व बैंक के सहयाेग से गांव में बनाये गये जल मिनार से पानी सप्लाइ नहीं होने की वजह से गांव में लगे एक मात्र सरकारी चापानल से पानी लेने के लिए सुबह के 4 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक चापानल के समीप गांव की महिला, पुरुष व बच्चे पानी लेने के लिए लाइन में खड़े रहते है। 400  घर व 2000 आबादी वाले अटपहरा गांव के किसी घर के सदस्य द्वारा अगर सुबह जगने में लेट हो जाता है, ताे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि पानी लेने के लिए उन्हें लंबे समय का इंतजार करना पड़ जाता है। कभी-कभी ताे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि लोग पानी नहीं ले पाने की वजह से काम धंधे तक पर नहीं जा पाते है। साथ ही गांव के लोग दाे तीन दिन पर स्नान कर रहे हैं। 

[जलमीनार के बीत गए साल, नहीं मिला ग्रामीणों को लाभ]

गांव निवासी जुलेखा खातून, माला देवी, संजीदा खातून, लालाे देवी, बजरंगी यादव, फयाज उद्दीन, सहबाज, माेइम, मनाेज पासवान, पुन्नी खातून, बिना देवी, बीबी सबनम, सरदारी साव, सहबाज शेख सहित अन्य ग्रामीणाें ने बताया कि पिछले एक साल पूर्व ही विश्व बैंक के सहयाेग से बनाये गया जलमिनार बनकर तैयार है, लेकिन इसका लाभ आज तक अधिकारियों की नाकामी की वजह से नहीं मिल पाया है। चार पांच माह पूर्व भले ही जलमिनार ने एक दाे दिन लाेगों के घरों में पानी दिया था, लेकिन एमसीबी जल जाने के बाद इतने समय बीत गये, किसी अधिकारी ने उसे दुरुस्त कराने की जहमत तक नहीं उठायी, लिहाजा पांच माह से ग्रामीण पेयजल की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं।  

 [300 के बदले सिर्फ 65 घरों को मिल रहा है पानी]

400 घर वाले अटपहरा गांव में जलमिनार का कनेक्शन विभागीय कर्मचारियों को 390 घरों तक पहुंचाना था, लेकिन महज 65 घरों तक ही पानी का कनेक्शन विभाग द्वारा पहुंचाया गया है, जबकि कनेक्शन के लिए 300 लाेगों ने रसीद तक कटा लिया था, बावजूद इसके उनलोगों के घर तक ना तो जलमिनार से पानी पहुंचाने के लिए कनेक्शन ही किया है और ना ही जिन घरों तक कनेक्शन किया गया है वहां ही पानी पहुंच पा रहा है।

    [ग्रामीणों का है कहना]

  जुलेखा खातुन   :  चापाकल से मेरा घर एक किलोमीटर की दूरी पर है। पेयजल के लिये मुझे प्रतिदिन दो घंटे तक लाइन में खड़ा रहना पड़ता है।

माला देवी   :- एक किलोमीटर दूर नदी से पानी लाकर पीना पड़ता है। गांव में पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। पेयजल के लिए लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

संजीदा खातुन  :-  गांव में पेयजल का एक ही श्रोत है चापाकल। चापाकल ज्यादा चलने से पानी में कचड़ा आने लगता है और लोग उसे छान कर पीने को विवश हैं।


लालो देवी :- पेयजल की गांव में सुविधा नहीं रहने के कारण लोग गंदे पानी पीने को विवश हैं। बारिश के मौसम में पेयजल में बारिश का पानी मिल जाता है और परिवार के लोग उसे पीकर बीमार पड़ रहे हैं।

[क्या कहते हैं पदाधिकारी]

अनिल सिंह,पीएचईडी, एसडीओ बांका  :-
हाउस कनेक्शन पूरी तरह से नहीं होने की वजह से इसे चालू नहीं कराया जा सका है।
अभिनव भारती, बीडीओ, धोरैया :-  यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। हाल ही में मैं धोरैया में योगदान दिया हूँ। मामला मेरे संझान में आया है। जिस विभाग से होगा जलमीनार को दुरूस्त कराकर लोगों को यथाशीघ्र पेयजल की आपूति करायी जायेगी।
बीबी हाजरा खातुन, प्रमुख, धोरैया :- मरम्मति के लिये विभाग के पास ना तो समान उपलब्ध है ना ही कर्मचारी। ऐसी स्थिति में विभागीय उदासीनता के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत समिति की बैठक में इस मामले को उठाया गया था ताकि लोगों को यथाशीघ्र पेयजल की सुविधा उपलब्ध हो सके।

Report :- (अरूण कुमार गुप्ता)
बांका  |  03/07/2018, मंगलवार
Edited by - Abhishek Kumar Jha
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