[gidhaur.com | News Desk] :- बुधवार को जारी बिहार इंटरमीडिएट रिजल्ट पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य निहाल वर्मा ने कहा कि बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम इस हद तक गिर गया है कि बिहार सरकार अब छात्र-छात्राओं के सवालों के दायरे में आ चुकी है।
सत्र 2017-18 इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम में मात्र 52.95 फ़ीसदी परीक्षार्थी पास हुए हैं और 48.05 फ़ीसदी छात्र फेल हो गए हैं। इस परिणाम के आंकड़े से बिहारी छात्रों के भविष्य पर बेरोजगारी का बादल मंडरा रहा है। विभाग द्वारा घोषित परिणाम से बिहार के लगभग 5 लाख छात्र-छात्राओं का भविष्य पूर्णतः बिगड़ चुका है।
सत्र 2017-18 इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम में मात्र 52.95 फ़ीसदी परीक्षार्थी पास हुए हैं और 48.05 फ़ीसदी छात्र फेल हो गए हैं। इस परिणाम के आंकड़े से बिहारी छात्रों के भविष्य पर बेरोजगारी का बादल मंडरा रहा है। विभाग द्वारा घोषित परिणाम से बिहार के लगभग 5 लाख छात्र-छात्राओं का भविष्य पूर्णतः बिगड़ चुका है।
वहीं इसी क्रम में श्री वर्मा ने बिहार के बिगड़ती शैक्षणिक माहौल पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि अपेक्षित परिणाम न आना, और बच्चों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगने का जिम्मेदार कौन है? क्या राज्य सरकार शिक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही करती रहेगी ? बिहार के छात्रों को उच्च शिक्षा सर्वोच्च शिक्षा कब मिलेगा ? जबकि IAS, IIT जैसे परीक्षाओं में बिहार के छात्र सभी राज्यों से अव्वल रहते हैं, क्योंकि वह छात्र किसी दूसरे राज्य में शिक्षा पाकर कर परीक्षा देते हैं।
इससे यह प्रमाणित होता है कि राज्य सरकार बिहार के छात्रों को अपेक्षित शिक्षा देने में असफल है जबकि राज्य सरकार की शिक्षा बजट सबसे ज्यादा ₹1.60 लाख करोड़ है, इसके उपरांत भी राज्य सरकार उच्च शिक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दिला पा रही है ?
गिद्धौर निवासी अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य निहाल वर्मा ने अपने संबोधन को विराम देते हुए कहा कि टॉपर के नाम पर भी फर्जीवाड़ा जारी है जो कि इस साल भी देखने को मिल रहा है। इससे यही साबित होता है कि सरकारी कागजों पर दुरूस्त शिक्षा व्यवस्था के दावे दिखाकर सरकार अपनी पीठ जरूर थपथपाती है पर बुधवार को जारी हुए इंटर की रिजल्ट ने सरकार के तमाम दावे को खोखला सिद्ध कर दिया है।
0 टिप्पणियाँ