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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

उद्वारक का बाट जोह रहा बनियापुर कराह का गढ़देवी स्थान


Gidhaur.com (धर्म एवं आध्यात्म) : बनियापुर प्रखण्ड के कराह पंचायत के कराह और इम्ब्राहिमपुर गाव के सीमा पर प्राकृतिक रूप से गढ़देवी के रूप में चर्चित वैष्णवी माता गढ़देवी पर सरकार का ध्यान नही है, आज भी आम लोगो के आस्था का केंद्र रहे इस मंदिर और परिसर को कला संस्कृति युवा बिभाग ने एक दशक पूर्व ही इसके चाहरदीवारी का निर्माण कर इसे संरक्षित करने का सार्थक प्रयास किया गया परन्तु कई योजना अब भी लंबित है। स्थानीय लोगो का दावा है कि भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ तड़कासुर बध और अहिल्या उद्धार के बाद इसी रास्ते जनकपुर गए थे जिस कारण इस गाव का नाम हरिपुर के राह नाम तत्कालीन नाम का अपभ्रंश है हरपुर कराह जो अब दो अलग अलग पंचायत है, लोगो का दावा है कि श्री राम भी इस स्थल की पूजा अर्चना कर ही प्रस्थान किये थे,स्थानीय लोगो की माने तो सारण जिले के प्रमुख व्यपारिक स्थल सारण से पटना को जोड़ने वाली गंडकी नदी और और नककटा नदी के बीच बनियापुर प्रखण्ड मुख्यालय से ढाई किमी पूरब माता का यह मनोरम स्थल है जहाँ सती के नाक गिरे थे और माता रानी का अवतरण हुआ था, नककटा आज कल नकटा नदी के नाम से प्रशिद्ध है। माता के सातों बहनों की पिंडी स्वरूप की पूजा करने की परंपरा है, स्थानीय गाव हरपुर, कराह, भूमिहरा, इब्राहिमपुर सहित दर्जनों गाव के सभी मांगलिक कार्यो की शुरुआत माता रानी की पूजा कर के ही सम्प्पन होती है, इसके अलावे सैकड़ो गाव के आस्था का केंद्र बना हुआ है,तत्कालीन कला संस्कृति मंत्री स्थानीय जनार्धन सिंह सिग्रीवाल द्वारा कला सांस्कृतिक मंत्रालय बिहार सरकार ने 4 अप्रैल 2007 को लाखों के लागत से गढ़ की पुरातात्विक  इतिहास को संरक्षित करने के उद्देश्य से चाहरदीवारी का निर्माण कराया गया, कला सांस्कृतिक और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने इस स्थल का मुआवना कर इस गढ़ को पाल कालीन बताया था, चाहरदिवारी के बाद कला सांस्कृतिक मंत्रालय ने इसके  सौंदर्यीकरण के रूप रेखा तैयार की थी जो सरकार के ठंडे बस्ते में है, वैसे तो माता की पूजा प्रतिदिन सैकड़ो भक्तों द्वारा की जाती है परंतु शारदीय नवरात्र में माँ की बिशेष पूजा होती है, चैत नवरात्र में भी माँ की पूजा अर्चना से माहौल भक्तिमय बना रहता है। एक दशक पूर्व कला संस्कृति और पुरातत्व विभाग के चाहरदीवारी निर्माण के बाद स्थानीय लोग आपसी सहयोग से बन रहे मंदिर को अधूरा छोड़ दिया, जो धीरे धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है, मनरेगा द्वारा लाखो रुपये इसके सौन्र्दयीकरण के नाम पर उठा कर गढ़ में बड़े बड़े गड्ढे आज लोगो को मुह चिड़ा रहे और आये दिन लोग इस गड्ढे में गिर कर चोटिल होते है पर अब भी लोगो के इसके तारनहार का इंतजार है।
अनूप नारायण
06/04/2018, शुक्रवार

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