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बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

दरभंगा : शिक्षा जगत में आशा की किरण जगा रहे हैं ये गुरू

Gidhaur.com (शिक्षा) : दिन के एक बजे है हमारी गाड़ी दरभंगा टाउन में एंटर कर चुकी है। मैं ने रिंग किया उधर से भारी आवाज़ आई हेल्लो , मैं बोला क्या मेरी बात आर. ई. खान से हो रही है ,वे बोले हाँ। मैंने कहा मैं पत्रकार हूँ आप से मिलना है। उन्होंने 5 बजे शाम में बुलाया, मिलने पंहुचा तो एक पुराना खंडहर सा कोचिंग, बहुत बड़ा क्लास रूम ,वो बोले बैठिये , और उन्होंने चाय ऑफर किया।

उन्होंने कहा क्या जानना चाहते है? मैंने कहा आपका बहुत नाम सुना है, आप अपने बारे में कुछ बताये। उन्होंने बोलना शुरू किया हम सुनते रहे। एक टीचर के साथ-साथ अच्छे वक्ता की तरह। आर. ई. खान सीतामढ़ी जिला के नानपुर थाना अंतर्गत गौरी गांव में अपनी नानी के घर में पैदा हुए। प्रारंभिक शिक्षा रायपुर मिडिल स्कूल एवं हाई स्कूल से ली फिर दरभंगा से बारहवीं करने के बाद पश्चिम बंगाल से इंजिनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।

ई. खान ने आगे बताया पहला जॉब श्याम स्टील एंड पावर दुर्गापुर में लगा, फिर एस्सार पावर, फिर GNA उद्योग और अंत में मारुति कंपनी में काम का किया। लेकिन अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कोल्कता में फिजिक्स की क्लास अलग-अलग कोचिंग में  लेता था। पता नहीं जॉब में मन नहीं लगा। शायद करियर का अगला पड़ाव मेरा इंतज़ार कर रहा था। भले ही जॉब कर रहा था लेकिन टीचिंग का जज्बा दिल से नहीं जा रहा था। सोचा दरभंगा वापस चलू। और मिटटी की खुश्बू ने मुझे दरभंगा आने पर मजबूर कर दिया।

2012 में दरभंगा में अकादमी ऑफ़ फिजिक्स नाम से 4 स्टूडेंट्स के साथ क्लास स्टार्ट किया आज लगभग 1400 स्टूडेंट्स का परिवार है। यहाँ से हर साल सैकड़ो स्टूडेंट्स आईआईटी और मेडिकल का एग्जाम  क्रेक करते है। दरभंगा एक छोटा सा टाउन है जहाँ और भी डिस्ट्रिक के बचे पढ़ने आते है। उनकी उम्मीदों को पर लगाने का काम करता हूँ।

सच बताऊँ तो पढ़ने और पढ़ाने में काफी मज़ा आता है। फ्यूचर में कोटा सिस्टम कोचिंग ओपन करने की तैयारी है। उम्मीद है 2020 तक खुल जायेगा। दरभंगा में नार्थ बिहार का सबसे बड़ा टीचिंग सिस्टम जहा वर्ग 6 से बारहवीं एवं मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी होगी, वो भी बहुत काम फीस में। गरीबो को मुफ्त शिक्षा मिले यही कोशिश करता हूँ।

वैसे तो समय नहीं मिलता। लेकिन परिवार के लिए भी थोड़ा समय चुरा लेता हूं। मेरी बेटी अभी सालभर की है, उसे समय देता हूं। सच कहूं तो बेटी किस्मत वालो को मिलती है। माँ के जाने के बाद पिता जी का भी ख्याल रखना पड़ता है। वो रिटायर्ड पुलिस सब इंस्पेक्टर है। फ्री टाइम में स्लम एरिया में जाता हूं और गरीब छात्रों को पढता हूँ, उनके साथ कुछ पल बिताता हूँ। खाली समय में मेलोडी गाना सुनना अच्छा लगता है। मैं मानता हूं कि इमानदारी से किसी काम को किया जाये तो सफलता जरूर मिलेगी। बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस जरुरत है उसे निखारने की।

अनूप नारायण
21/02/2018, बुधवार

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