Gidhaur.com (अलीगंज, जमुई) : धन्वंतरी को सनातन धर्म में देवताओं के वैद्य माना जाता है। ये एक महान चिकित्सक थे जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं। इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था। इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस के संदर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव आता है या नहीं। दूतों ने यम देवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते हैं और उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। परंतु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया। लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।
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एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन मे यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करते हैं।इसलिए चिकित्सकों के लिए भी शुभ दिन माना जाता है।
चंद्रशेखर सिंह
अलीगंज, जमुई | 18/10/2017, बुधवार
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