बिहार से लेकर देश के कुछ बड़े राजनेताओं ने आज राजनीति के कद्दावर चेहरा रहे दिवंगत दिग्विजय सिंह को उनके पूण्य तिथि पर उन्हें विस्मृत कर दिया। इफ्तार खाने में व्यस्त बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार भी उन्हें सिर्फ इसलिए विस्मृत तो नहीं कर गए कि उन्होंने राजनीतिक जीवन में कई आरोप नीतीश कुमार पर लगाये थे।
दिग्विजय सिंह का जन्म 14 नंवबर 1955 को बिहार के जमुई में सुरेंद्र सिंह के घर हुआ था। वह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उन्होंने एमए की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से पूरी की और उसके बाद एमफिल करने दिल्ली चले गए। जहां उन्होंने जेएनयू से एमफिल किया। उसके बाद कुछ समय के लिए दिग्विजय सिंह टोकियो विश्वविद्यालय भी गए। अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत दिग्विजय सिंह ने जेएनयू से किया। उसके बाद 1990 में वह पहली बार राज्यसभा पहुंचे और इसके साथ ही 1990-91 में ही चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में वह मंत्री भी रहे।
दिग्विजय सिंह का जन्म 14 नंवबर 1955 को बिहार के जमुई में सुरेंद्र सिंह के घर हुआ था। वह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उन्होंने एमए की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से पूरी की और उसके बाद एमफिल करने दिल्ली चले गए। जहां उन्होंने जेएनयू से एमफिल किया। उसके बाद कुछ समय के लिए दिग्विजय सिंह टोकियो विश्वविद्यालय भी गए। अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत दिग्विजय सिंह ने जेएनयू से किया। उसके बाद 1990 में वह पहली बार राज्यसभा पहुंचे और इसके साथ ही 1990-91 में ही चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में वह मंत्री भी रहे।
अपने 55 साल के जीवन में दिग्विजय सिंह 5 बार संसद सदस्य रह चुके थे। तीन बार लोकसभा (1998,1999,2009) और दो बार राज्यसभा (1990, 2004) के सदस्य। इतना ही नहीं एनडीए के शासन काल में 1999-2004 के बीच दिग्विजय सिंह अटल बिहारी बाजपेयी के मंत्रिमंडल में मंत्री भी रह चुके थे।
वह जार्ज फर्नाडिंस के सबसे करीबी माने जाते थे। इसी वजह से 2009 में हुए 15वीं लोकसभा चुनाव के वक्त उन्हें पार्टी ने लोकसभा का टिकट देने से इंकार कर दिया।
उसके बाद भी दिग्विजय सिंह ने हार नहीं मानी और बिहार में जदयू की लहर होने के बाद भी बांका से लोकसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजई हुए। जीवन के आखिरी समय में दिग्विजय सिंह बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे थे। उन्होंने कई मंचों पर नीतीश के खिलाफ कई आरोप लगाए थे।पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धासुमन अर्पित है।
(उज्जवल कुमार सिंह)
लेखक बांका निवासी हैं एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं। यह लेखक के अपने विचार हैं।
24/06/2017, शनिवार