
विदित हो की लगभग तीन-साढ़े तीन वर्ष पूर्व लाखों की लागत से इस सड़क का निर्माण कराया गया था जिससे की गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत आने वाले इन गांवों के निवासियों को मुख्यालय एवं बाजार आवागमन में असुविधा न हो। लेकिन एक बार जो सड़क बन गया तब से अब तक इसका मरम्मत भी नहीं हुआ है।
जिसके कारण लोगों को दोपहिया-चारपहिया वाहन और पैदल चलने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस सन्दर्भ में बातचीत करने पर स्थानीय ग्रामीणों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि सड़क की मरम्मत के अभाव में इतनी जर्जर हालत हो गई है जो चिंता का विषय है। बाजार, रेलवे स्टेशन एवं प्रखंड सह अंचल कार्यालय जाने के लिए इस ओर से होकर प्रतिदिन सैंकड़ों छोटे बड़े वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। कई बार तो सड़क में बने गड्ढों में दोपहिया वाहन भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। बारिश के दिनों में तो स्थिति और भी ज्यादा खतरनाक हो जाती है। गड्ढों की गहराई इतनी अधिक है की बरसात का पानी भर जाने पर चालकों को सड़क का अंदाजा नहीं मिल पाता और दुर्घटना हो जाती है।

इस रास्ते अमूमन कई जनप्रतिनिधियों का भी आना-जाना लगा रहता है, लेकिन इस सड़क की सुधि लेने आज तक विभागीय पदाधिकारी नहीं आये हैं। यह सड़क गिद्धौर के एनएच 333 से निकलकर सेवा, धमना, रामाकुराब, थड़घटिया, कुड़ीला, गेनाडीह, चंद्रशेखर नगर, गोविंदपुर सहित दर्जनों गांवों को जोड़ते हैं। उक्त सड़क इस इलाके का एकमात्र मुख्य सड़क होने के कारण इस सड़क से सैकड़ों वाहन का परिचालन प्रतिदिन होता है। सड़क में गड्ढे होने से जहाँ वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। इसी सड़क में गिद्धौर रेलवे स्टेशन से सेवा की ओर बढ़ने पर रेलवे अंडर ब्रिज (भँवरवा पुल) भी है जो की अंग्रेज जमाने का ही निर्मित है।

(मुकेश कुमार यादव, सेवा)
~गिद्धौर | 04/06/2017, रविवार
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