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शनिवार, 20 मई 2017

अफवाहों के बाजार में नहीं चल रहे एक रूपये के सिक्के

यदि आप घर से 1 रुपये का सिक्का लेकर निकले हैं और आपकी तमाम खरीददारियां के बाद भी वो आपके साथ वापस घर तक आ जाए तो बस यूँ समझ लीजिए की अफवाहों के गिद्धौर बाजार में दुकानदारों ने उसे लेने से इंकार कर दिया है। अपने मूल्य के संदर्भ में एक संग्राहक के मद में एक सिक्का आम तौर पर अपनी स्थिति, विशिष्ट ऐतिहासिक महत्व, दुर्लभता, डिजाइन की गुणवत्ता, सुंदरता और सामान्य लोकप्रियता द्वारा कम या ज्यादा मूल्यवान बनता है। अब देखिए कि 10 रुपये के सिक्के का खुमार 1 रुपये के सिक्के पर भी चढ गया है। 10 रुपये का जो सिक्का कुछ समय के लिए गुम हो गया था, पर कानूनी दांव-पेंच से आगे बढ़कर आज फिर देश के आर्थिक स्थिति में अपना सहयोग व भूमिका अदा कर रहा है।
यूँ तो 10 रुपये के सिक्के में असली नकली का झंझट था, लेकिन बाजार मे चल रहे 1 रुपये के छोटे सिक्के का क्या दोष? ऐसा कहना लाजमी है, और कारण यह है कि आजकल बढ़ते अफवाहों के दौर में 1 रुपये का छोटा सिक्का "खोटा" साबित हो रहा है। बाकी जगहों का कहना मुनासिब तो नहीं पर बात यदि गिद्धौर की करें तो साग-सब्जी बेचने वाले से लेकर, प्रतिष्ठित दुकानदार भी 1 रुपये के छोटे सिक्के लेने से मना कर रहे हैं। हालांकि कारण बता पाने में सभी असमर्थ हैं, पर सवालों के घेरे मे उनके जुबान से बस एक ही अल्फाज निकलते हैं - "अगला आदमी भी ई सिक्कबा लियेल तैयार नय है, कोय लैयै नय रहले, त हम इ सिक्कबा कैसे ले लियै "।
अब बताइए, 1 रुपये के सिक्के को लेकर गिद्धौर जैसे छोटे कस्बों में भ्रम बढ़ता जा रहा है। अफवाह के चलते कई छोटे-बड़े दुकानदार भी सिक्का लेने में आनाकानी कर रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एक वैध राष्ट्रीय मुद्रा को लेने से इंकार नहीं कर सकता है। इस असली नकली की अफवाह के चलते गिद्धौर सहित आसपास के बाजारों में इन दिनों जबरदस्त भ्रम की स्थिति है।
दुकानदार से लेकर ग्रामीण तक सिक्के लेने से इंकार कर रहे हैं। इन सबके बीच छोटे दुकानदार जिनके पास काफी सिक्के जमा हैं वे काफी परेशान हैं। गिद्धौर के विभिन्न बैंक के कर्मचारियों से इस संदर्भ मे पूछे जाने पर निष्कर्ष आया कि सिक्के का प्रचलन बन्द होने या असली नकली को लेकर फैली बात महज अफवाह है, क़ानूनी रूप से सभी सिक्के वैध हैं। आरबीआई के आदेश बिना सिक्के को अवैध ठहराना, अफवाहों के हौसले बुलन्द करने के समान है।
बात यदि अर्थशास्त्र कि करें तो गूगल के अनुसार एक तथ्य मे स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि एक सिक्का आम तौर पर अपनी स्थिति, विशिष्ट ऐतिहासिक महत्व, दुर्लभता, डिजाइन की गुणवत्ता, सुंदरता और सामान्य लोकप्रियता द्वारा कम या ज्यादा मूल्यवान बनता है। पर आज अफवाहों का बाजार इतना गरम है कि अर्थशास्त्र की यह थ्यौरी भी फिस्सडी साबित हो रही है। खैर, गिद्धौर जैसी जगह, जो अफवाहों से काफी दूर थी, यह भी धीरे-धीरे इसी के आगोश में सिमटता जा रहा है। जहाँ शादी-विवाह सहित शुभ कार्यक्रमों अदि में 1 रुपये के सिक्कों का ही उपयोग होता रहा है वहां अब 1 रुपये के सिक्के को ही अवैध बताना सही है या नहीं ये तो पूरी शत प्रतिशत नहीं कहा सकता, पर बिना आरबीआई के आदेश से गिद्धौर जैसे लघु व्यवसाय बाजार  में 1 रुपये के छोटे सिक्के ना लिया जाना, छोटे वर्ग के लोगों की परेशानी पर एक बड़ा सवालीय चिन्ह खड़ा कर रहा है कि - "एक रुपये की कीमत तुम  क्या जानो बड़े बाबू"


(यह आलेख अभिषेक कुमार झा द्वारा www.gidhaur.blogspot.com के लिए लिखी गई मूल रचना है)
~गिद्धौर     |     20/05/2017, शनिवार 

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