अनूठा गाँव : सदियों से शराब को हाथ भी नहीं लगाते हैं लोग - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - Sushant Sai Sundaram Durga Puja Evam Lakshmi Puja

सोमवार, 16 जनवरी 2017

अनूठा गाँव : सदियों से शराब को हाथ भी नहीं लगाते हैं लोग

सूबे के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा 21 जनवरी को राज्यभर में मानव श्रृंखला के माध्यम से शराबमुक्त बिहार व जागरूकता का सन्देश देने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में गिद्धौर प्रखंड का एक छोटा सा गांव गंगरा सदियों से सामाजिक जनचेतना एवं नशा उन्मूलन का मिसाल कायम कर रहा है। यहाँ के इतिहास को पलटें तो महादेवा राज के नाम से विख्यात गिद्धौर राजघराने में शामिल गंगरा गाँव विगत सात शताब्दियों से शराबमुक्त है। यहाँ शराब के सेवन पर पूर्णतः प्रतिबन्ध है। ग्रामीण पौराणिक मान्यताओं और गांव के देवता बाबा कोकिलचंद को आराध्य एवं प्रेरणास्रोत मानकर शराब को हाथ लगाना भी गुनाह समझते हैं।

लोकगीत में है बाबा कोकिलचंद का प्रसंग
प्रसिद्ध गीतकार, लेखक व कवि श्री ज्योतीन्द्र मिश्र के अनुसार बाबा कोकिलचंद की चर्चा गिद्धौर जनपद के यादवों द्वारा गाए जाने वाले विशेष गीत लोर्काइन के अंतिम टेक 'हो बाबा कोकिल चन' के रूप में सुना जाता था। लेकिन समय के साथ-साथ इस लोकगीत को अब विरले यादव ही गाते हैं।

सिद्ध पुरुष थे बाबा कोकिलचंद
'अन्न ब्रह्मा, रसे विष्णु, भोक्ता महेश्वरः'
महेश्वर अर्थात  देवाधिदेव महादेव। बाबा कोकिलचंद परम् शैव सिद्ध पुरुष थे। प्रतिवर्ष नवान्न (अपभ्रंश :- नेमान अथवा नेवान) महोत्सव के दिन गंगरा ग्रामवासियों द्वारा नए अन्न का भोग महादेव व बाबा कोकिलचंद को अर्पण कर ही ग्रहण किया जाता है। मान्यता है कि महेश्वर ही अविनाशी हैं, इसलिए भोक्ता भी वही हैं। बाबा कोकिलचंद को भी शिव रूप ही माना गया है।

सदियों से शराबमुक्त गाँव एक बड़ा उदाहरण
बाबा कोकिलचंद सेवा समिति, गंगरा के सचिव व नशामुक्ति जागरूकता अभियान के संचालक गंगरा निवासी चुनचुन कुमार वर्ष 2013 से अनवरत प्रत्येक रविवार जागरूकता अभियान चलाकर आसपास के क्षेत्रों में भी नशा उन्मूलन के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी कानून लागू कर प्रदेश को शराबमुक्त बनाने का पहल किया गया है जिसके बाद अब ऐसे कई गांव मिल जाएंगे जहाँ लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। लेकिन सदियों से एक गांव का शराबमुक्त होना अपने आप में एक अनूठा उदहारण है।

जनप्रतिनिधियों को भी मिली प्रेरणा
विभिन्न समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधियों ने भी अपने स्तर से गंगरा गांव का उदहारण देकर शराबमुक्त समाज के निर्माण हेतु समय-समय पर प्रयास किया। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागु किये जाने के बाद सभी के प्रयास फलीभूत हुए।

मीडिया ने किया ध्यानाकृष्ट
विभिन्न समाचारपत्रों, टीवी चैनलों व सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने का प्रयास लगातार किया जाता रहा है। टीवी चैनलों की विभिन्न टीमों द्वारा यहाँ आकर रिपोर्ट बनाया और प्रसारित किया गया है।

शराबमुक्त होने से कायम है आपसी भाईचारा
गंगरा के निवासियों का मानना है कि शराबमुक्त होने से गांव को विकास एवं तरक्की का लाभ मिला है। युवा गलत राह पर जाने से बचते हैं, साथ ही परिवार में आपसी कलह न होकर प्रेम व भाईचारा बना हुआ है। यहाँ के वैसे निवासी जो जीविकोपार्जन के लिए बाहर रहते हैं वो भी बाबा कोकिलचंद के प्रति आगाध श्रद्धा व निष्ठा की वजह से शराब को हाथ नहीं लगाते। यहाँ की लड़कियों की शादी के वक्त रिश्ता तय करने में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि कुटुंब का परिवार मदिरापान ना करता हो।

(सुशान्त साईं सुन्दरम्)
~गिद्धौर
16/01/2017, सोमवार

Post Top Ad -