गिरते छज्जे और दरकती दीवारों के बीच काम करने वाले डाकघर के कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यह नजारा है जमुई जिला अंतर्गत गिद्धौर उप-डाकघर का। यहां के डाक कर्मचारी खतरे के साये में कार्य कर रहे हैं। नियमित मरम्मत और देखभाल नहीं किये जाने की वजह से डाक घर की दीवारों पर भी दरारें आ गई हैं। भीतर कार्य स्थल पर जगह-जगह से चूना गिरता रहता है। बरसात के दिनों में अक्सर इसकी छत भी कई जगहों से टपकने लगती है। जिन वजहों से गिद्धौर उप-डाकघर में रखे तमाम कागजातों, दस्तावेजों और विद्युत उपकरणों को सुरक्षित रखने की चिंता बनी रहती है।
डाकघर भवन को उन्नयन की है आवश्यकता
उप-डाकघर का सारा कार्य मात्र एक ही कक्ष में दशकों से संचालित किया जा रहा है। यह भवन गिद्धौर राज-रियासत के तत्कालीन शासक द्वारा डाक विभाग को उपलब्ध करवाया गया था। भवन के छत में अंदर की ओर से अनेकों स्थान पर दरारें पड़ गई हैं। छत का प्लास्टर भी टुकड़ों में गिरता रहता है। जिससे यहाँ बैठकर कार्य करना कर्मचारियों के लिए खतरे से खाली नहीं है। वहीं कुछ महीने पूर्व लगातार आये भूकंप के झटकों से इसके आसपास का हिस्सा जीर्ण-शीर्ण हो चुका है।
एक ही कक्ष में संचालित होती हैं सभी गतिविधियाँ
डाकघर में हॉलनुमा एकमात्र कमरा बना हुआ है जिसमें डाक सम्बंधित सभी कार्य संचालित की जाती हैं। उप-डाकघर होने के नाते प्रतिदिन आसपास के गांवों से भी हजारों की संख्या में आने वाले पत्रों की गिनती, उनकी छँटाई, डाक सामग्री खरीदने का काउंटर, फॉर्म भरने का काउंटर, पोस्ट ऑफिस की बचत योजना काउंटर, पोस्ट मास्टर व कर्मचारियों के लिए बैठने का स्थान आदि के लिए केवल हाॅल के भाँति का एकमात्र कक्ष ही है। जिस वजह से विभिन्न कार्य करने में काफी मुश्किलें आती हैं। स्थिति ऐसी है कि यदि कोई व्यक्ति डाकघर के अंदर पहुँच जाए तो उसे चारों ओर यहाँ-वहाँ बेतरतीब बिखरी डाक सामग्रियाँ, रजिस्टर व उनसे घिरकर कार्य करते हुए कर्मचारी दिखाई देंगे। ऐसी हालत में कार्य करना इन कर्मचारियों की मजबूरी बन चुकी है। अतः इन सभी खामियों को देखते हुए शीघ्र ही सम्बंधित विभाग को गिद्धौर डाकघर के जीर्णोद्धार की दिशा में ध्यानाकृष्ट करने की आवश्यकता है।
(अभिषेक कुमार झा)
~गिद्धौर
04/12/2016, रविवार
0 टिप्पणियाँ