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बिहार के सरकारी विद्यालयों में दम तोड़ रही शिक्षा व्यवस्था

Gidhaur.com (न्यूज़ डेस्क) : राज्य भर के सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद इन स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापक भी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में नहीं पढ़ाना चाहते। जो शिक्षक खुद सरकारी विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं उनके बच्चे भी निजी विद्यालयों में पढ़ रहे हैं। राज्य के जो लोग किन्हीं कारणों से पलायन नहीं कर पाए या जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, सिर्फ उन के बच्चे ही सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। जो लोग विषम परिस्थितियों पर ठहरे हुए हैं, उनके बच्चों की शिक्षा परकिसी का ध्यान नहीं है। 

अब विडंबना यह है कि राज्य में सरकारी विद्यालय में शिक्षा दम तोड़ रही है। राज्य के तमाम छोटे-बड़े नेता, मंत्री और नौकरशाह धूम-धाम से मनाए जाने वाले प्राइवेट स्कूलों के वार्षिक उत्सवों में शामिल होकर फूले नहीं समाते कि बच्चे उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन उन्हें इस बात का जरा भी अहसास नहीं कि ग्रामीण स्कूलों के बच्चे भी राज्य और देश का भावी भविष्य हैं। इन स्कूलों के चिरागों को रोशन करना भी उन्हीं का दायित्व है। समझ में नहीं आता कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था के प्रति सभी मौन क्यूँ हैं?

(अभिषेक कुमार झा)
Gidhaur.com    |    31/08/2017, गुरुवार

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